मैहरे बाजार 4 पंचायतों का मुख्य केंद्र है, इस बाजार के साथ लगती चार पंचायतों में ही मैहरे बाजार बस्ता है तो ये कहना गलत नहीं होगा! लेकिन वर्तमान समय में मैहरे में कूड़े की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है! मैहरे 4 पंचायतों में बंटा है, इसी कारण यहां किसी भी पंचायत का सीधा नियंत्रण नहीं है! लेकिन मैहरे कस्बा पिछले कुछ समय में एक बड़े कस्बे के रूप में उभर रहा है, लगातार यहां व्यवसायिक गतिविधियों के बढ़ने के साथ यहां पर जनसंख्या भी बड़ी है, और जिस वजह से कूड़ा भी बड़ा है! पहले इस बाजार से 2 किलोमीटर दूर ले जाकर पहाड़ी से कूड़ा नीचे फैंक दिया जाता था, हालांकि स्थानीय प्रशासन ने उस समय पंचायतों के साथ मिलकर इस पर काम भी किया, और गीला और सूखा कूड़ा लोग अलग अलग करें इस पर जोर दिया गया!
पंचायतें भी प्रशासन और बाजार कमेटी के साथ मिलकर इस मुद्दे पर कुछ अग्रसर जरूर हुई, और बाजार में गीले कूड़े को अलग कर और सूखे कूड़े को अलग कर उसे निपटाने की योजना बनाई गयी, हालांकि कुछ समय इस पर काम किया गया, और गीले कूड़े को घुमारवीं भेजा जाने लगा, लेकिन फंड्स की कमी के कारण इसे सुचारु रूप से चलना मुश्किल हो गया और फिर दोबारा इसका जिम्मा बाजार कमेटी पर आ गया, और वर्तमान समय में बाजार कमेटी केवल बाजार से ही कूड़ा उठा पा रही है, क्योंकि स्थानीय लोग इसमें भाग नहीं ले पा रहे हैँ, जिस कारण घरों का कूड़ा कस्बे के इर्द गिर्द देखा जा सकता है! व्यापार मंडल हर दुकानदार से प्रति माह 100 से 200 रूपये वसूल करता है, ताकि निरंतर रूप से कूड़ा इक्क्ठा किया जा सके, कुछ कॉलोनीयों में भी व्यापार मंडल की ये गाड़ी जाती है, लेकिन अब इस प्रोजेक्ट को स्थानीय पंचायतों और लोगों का उतना सहयोग नहीं मिल पा रहा है , और जहां एक तरफ कूड़ा इक्क्ठा किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ स्थानीय लोगों का घरेलू कूड़ा यहां वहां देखा जा सकता है! इसका मुख्य कारण यही है की मैहरे पिछले 2 दशकों में एक गाँव से बड़ा कस्बा बन गया है, और यहां की आबादी भी लगातार बड़ी है, लेकिन मैहरे बाजार को किसी पंचायत का अलग से दर्जा नहीं मिल पाया है जिस कारण इसकी अनदेखी हुई है! अब लोग दोबारा से गीला और सूखा कूड़ा इक्क्ठा दे रहे हैँ, जिस कारण उसे अलग कर पाना उन 3 कर्मचारियों के लिये मुश्किल हो रहा है, जो प्रतिदिन ये कूड़ा इक्क्ठा करते हैँ! एक यर्ह से ये योजना पूरी तरह से बिफल होती हुई नजर आती है, और कूड़े के ढेर लगातार कस्बे के इर्द गिर्द बढ़ते जा रहे हैँ!इस विषय में ज़ब हमने व्यापार मंडल प्रधान विनोद लखनपाल से बात की तो उन्होंने कहा की जो पैसा वो प्रतिमाह दुकानदारों से लेते हैँ, उसी के सहारे ये कूड़ा बाजार से इक्क्ठा किया जाता है, हालांकि कॉलोनीयों से हमारी गाड़ी कूड़ा नहीं उठाती है, केवल बाजार से ही कूड़ा उठाया जाता है! कुछ समय स्थानीय प्रशासन के सहयोग से स्थिति अच्छी हुई थी, लेकिन अब लोगों का सहयोग न मिलने के कारण सारा कूड़ा नहीं उठा पाने की स्थिति में हम पहुंच गए हैँ!और जो कूड़ा उठा भी रहे हैँ, उसके निपटारे के लिये भी कोई उचित व्यवस्था नहीं बन पा रही हैँ! हमारे पास 3 ही कर्मचारी हैँ जिनके ऊपर काम का बोझ लगातार बढ़ रहा है! अगर इस पर कोई ठोस करवाई नहीं की गयी तो ये समस्या आने वाले समय में विकराल रूप ले सकती है!