तीन दिवसीय गोपाष्टमी पर्व बाबा बालक नाथ की सिद्ध धरा पर धूमधाम से हुआ संपन्न हजारों श्रद्धालुओं ने मनाया गोपाष्टमी उत्सव ट्रस्ट व महंत के प्रयास की हुई सर्वत्र प्रशंसा
ट्रस्ट गठन के बाद 35 सालों में पहली बार मनाया गया यह अनूठा पर्व
हमीरपुर 11 नवंबर
बाल योगी बाबा बालक नाथ की पावन धरा पर आयोजित गोपाष्टमी पर्व धूमधाम से संपन्न हुआ है। मंदिर ट्रस्ट दियोटसिद्ध व महंत श्रीश्रीश्री1008 राजेंद्र गिर जी महाराज के प्रयासों से यह गोपाष्टमी पर्व ट्रस्ट गठन के 35 वर्षों बाद पहली बार मनाया गया है। महंत श्री की मानें तो बाबा बालक नाथ व गौ माता के अटूट नाते को दर्शाता यह पर्व इस सिद्ध धरा पर हर वर्ष मनाया जाना जरूरी है। बाबा बालक नाथ मंदिर की गऊशाला कलवाल में मनाए गए इस गोपाष्टमी पर्व के लिए बाल संत प्रफुल जी महाराज विशेष तौर पर आमंत्रित किए गए थे। जबकि इस भव्य समारोह की अध्यक्षता मंदिर ट्रस्ट चेयरमैन एवं एसडीएम बड़सर शशिपाल शर्मा के साथ महंत श्री ने स्वयं की। महंत श्री तीन दिवसीय पर्व के दौरान अधिकांश समय श्रद्धालुओं के बीच आयोजन पंडाल में मौजूद रहे। जहां उन्होंने श्रीमदभागवत कथा का निरंतर श्रवण भी किया व गौ महिमा पर अपने प्रवचन भी रखे हैं। महंत श्री ने कहा कि बाल योगी बाबा बालक नाथ की गौ सेवा इस धरा में प्रकृति के संरक्षण व जनता के हित के लिए एक बड़ा संकेत है। उन्होंने गौ पर्व में उमड़े श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि हर घर गौ माता को अपने परिवार का सर्वोच्च सदस्य मानकर सेवा करे। उन्होंने कहा कि गऊ पूजा व प्रार्थना का गोपाष्टमी उत्सव में बड़ा महत्व है। इस त्यौहार पर हिंदू समाज गऊमाता के प्रति कृतज्ञता व सम्मान का संकल्प लेते हैं। महंत श्री बोले कि गोपाष्टमी में गऊ सेवा का निरंतर संकल्प करने से अभूतपूर्व सुख और सौभाग्य की वृद्धि होती है। उन्होंने गौ महिमा का बखान करते हुए कहा कि गाय की रीड में स्थित सुर्य-केतु नाड़ी सर्वरोग नाशक, सर्व विघ्न नाशक होती है। सुर्य-केतु नाड़ी सुर्य के संपर्क में आने पर स्वर्ण का उत्पादन करती है। गऊमाता के रोम-रोम से उत्पन्न यह स्वर्ण दूध, मूत्र व गोबर के रूप में मिलता है। गऊमाता का स्वर्ण दूध व मूत्र का सेवन करने से शरीर में अद्भुत कांति आती है। गोबर के माध्यम से फसलों के उत्पादन में क्रांति आती है। कई असाध्य बीमारियों में जिन रोगियों को स्वर्ण भस्म की सेवन की सलाह दी जाती है वह अगर गऊ माता का दूध पिएं तो स्वर्ण भस्म से भी बढ़कर परिणाम मिलते हैं। महंत श्री ने कहा कि सांइटिफिक तौर पर गऊमाता ही एक ऐसा प्राणी है जो ऑक्सीजन ग्रहण करके आक्सीजन ही वातावरण में छोड़ते हैं। गऊमाता के पिंडे में 33 प्रकार के देवता निवास करते हैं। अत: जो परिवार गऊमाता की सेवा निरंतर करते हैं उन पर दैवीय कृपा लगातार बनी रहती है। बाबा बालक नाथ दियोटसिद्ध की धरती के आसपास के क्षेत्रों में गऊमाता की सेवा का पुण्य कई गुना बढ़कर मिलता है, यह निश्चित है। उन्होंने कहा कि बाबा बालक नाथ व गऊमाता का नाता यही दिखाता व बताता है कि आम आदमी के जीवन के लिए इस सिद्ध धरा पर गऊमाता की सेवा निश्चित तौर पर कल्याणकारी व कारगर साबित होगी। इस अवसर पर जहां एक ओर हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे वहीं एसडीएम बड़सर शशिपाल शर्मा के साथ प्रशासनिक अमला व ट्रस्टियों की जमात ने भी बढ़चढ़ कर गोपाष्टमी पर्व पर भाग लिया।