बड़सर अस्पताल को सिविल अस्पताल का दर्जा तो दिया गया है, लेकिन जी सुविधायें एक सिविल अस्पताल में सरकार को मुहैया करवानी चाहिए, उन सुविधाओं का आभाव बड़सर सिविल अस्पताल में हमें देखने को मिलता है! बात करें अगर अल्ट्रासाउंड की तो बड़सर अस्पताल में कई वर्ष पहले एक अल्ट्रासाउंड की मशीन किसी व्यक्ति द्वारा दान की गयी थी! तबसे लेकर अभी तक इस पुरानी तकनीक की अल्ट्रासाउंड मशीन से ही अस्पताल में अल्ट्रासाउंड किये जाते हैँ, केवल हफ्ते के दो दिन मंगलवार और शनिवार को यहां पर अल्ट्रासाउंड किये जाते हैँ, ऐसे में लोगों को कई बार अपना अल्ट्रासाउंड करवाने के लिये इंतज़ार भी करना पड़ता है! अधिकतर लोग इसी वजह से क्षेत्र के अन्य दो निजी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड करवाने को मजबूर हैँ! अल्ट्रासाउंड करवाने वालों में गर्भवती महिलाएं, पथरी के मरीज और भी तरह मरीज इस सुविधा का लाभ लेते हैँ
लेकिन अगर हफ्ते में केवल दो ही दिन अल्ट्रासाउंड हों तो लोगों को अन्य जगह का रुख करना पड़ता है! अन्य दो निजी अस्पतालों में इसी कारण लोगों को जाकर अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ता है, जहां 100 रूपये में उनका काम हो सकता था, वहां लोगों को 500 से 700 रूपये तक खरचने पड़ते हैँ! आपको बता दें की अगर बड़सर में एक सरकारी और दो निजी अस्पतालो में अल्ट्रासाउंड की opd का अनुपात निकालेंगे तो ये करीब 50 अल्ट्रासाउंड प्रतिदिन बनेगा, जो एक बढ़ी संख्या होती है!इस विषय में ज़ब हमने शिशु विभाग के डॉक्टर राकेश से बात की तो उन्होंने बताया की अल्ट्रासाउंड की मशीन शि अवस्था में है, और उसकी की सहायता से हम निरंतर अल्ट्रासाउंड कर रहे हैँ, और लोगों को सुविधा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैँ! भविष्य में अगर ऐसी कोई जरूरत महसूस होती है तो इस बारे में विभाग को लिखित में सूचित किया जायेगा!