दिनांक 26 दिसंबर 2021 को बणी पंचायत के सेरी गांव में एक अचंभित करने वाला मामला सामने आया। मामला कुछ इस तरह है कि एक गाय और उसका बछड़ा स्थानीय गांव वासी को सुबह 7:00 बजे अपने खेतों में मिले स्थानीय गांव वासी ने बताया कि जब वह सुबह अपने खेतों की तरफ जा रहा था , तो एक गाय अपने बछड़े के साथ उसके खेतों को तहस-नहस कर रही थी नजदीक जाकर उसने पाया की यह कोई आवारा गाय नहीं है, क्योंकि उसके कानों पर रजिस्ट्रेशन टैग लगा हुआ था। इसके बाद वे उसे अपने घर ले आया, आगामी कार्रवाई में उसने वेटरनरी विभाग बणी को फोन लगाया और पूरे घटनाक्रम के बारे में अधिकारी को बताया। इसके बाद उस व्यक्ति ने अधिकारी को रजिस्ट्रेशन टैग नंबर बताया और उन से अनुरोध किया की आप इस रजिस्ट्रेशन नंबर को देखकर ऑनलाइन इसके मालिक का पता लगाएं इस पर जब वेटरनरी अस्पताल के अधिकारी ने ऑनलाइन चेक किया तो, यह नंबर रजिस्टर्ड ही नहीं हुआ था। उसके बाद उस व्यक्ति ने मीडिया से बात की और इस मुद्दे को उठाने की बात कहि। एक स्थानीय न्यूज़ चैनल ने जब इसकी खबर लाइव टेलीकास्ट की तो कुछ समय बाद इसके मालिक ने उस व्यक्ति से संपर्क साधा जिसके पास गाय और बछड़ा बंधा हुआ था। गाय और बछड़े के मिलने की जानकारी हमारे द्वारा वेटरनरी विभाग को तत्पश्चात दे दी गई। इस पर जब हमने स्थानीय वेटनरी अधिकारी गोपाल कृष्ण से बात की और पूरे मामले की जानकारी उन्हें दी और यह बताया की आपके अधिकार क्षेत्र में एक गाय और उसके बछड़े जिस पर की रजिस्ट्रेशन टैग लगा हुआ है, उसकी रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन क्यों नहीं हो पाई। इस पर डॉक्टर गोपाल कृष्ण ने कहा की वह इस समय डेपुटेशन पर हैं और इस मामले की जानकारी मुझे भी अभी लगी है, और 1 दिन के भीतर ही हम उस गाय और बछड़े की ऑनलाइन
रजिस्ट्रेशन भी कर देंगे। इसके बाद हमने गाय के मालिक से बात की तो उन्होंने कहा कि शाम के समय गाय को खुले में करने के लिए छोड़ा था, और गाय को जब हम लोग देखने के लिए गए तो पता चला गाय वहां नहीं है। हमने पूरी रात ढूंढने की कोशिश की पर गाय नहीं मिली। सबसे बड़ा सवाल यही उभर कर आता है की वेटरनरी विभाग बड़सर से यह चूक कैसे हो गई की गाय और बछड़े के कानों पर तो रजिस्ट्रेशन टैगलगे थे ,लेकिन उसकी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की कार्रवाई पूरी ही नहीं की गई थी।