मैहरे कस्बा उपमंडल बड़सर का प्रमुख और मुख्य कस्बा है,और यहां कई तरह की दिक्क़ते हैँ, जिनको हल किया जाना आवश्यक है, ताकि उपमंडल मुख्यालय का विकास हो सके! आपको बता दें की मैहरे में देश के अलग अलग जगह से आये प्रवासी बसे हुए हैँ, कई किराये पर कमरे लेकर रहते हैँ, तो कई अस्थाई झुग्गियों में रहते हैँ, बात करें अस्थाई झुग्गियों में रहने वाले प्रवासी लोगों की तो करीब 150 से 200 के करीब लोग ऐसे झुग्गियों में रहते हैँ, जहां उन्हें जमीन का किराया मासिक तौर देना पड़ता है, इस जमीन के मालिक कस्बे से 3 किलोमीटर दूर गाँवों में रहते हैँ, और मासिक किराया इन प्रवासी मजदूरों से लेते हैँ, लेकिन सुविधाओं के नाम पर इन लोगों को नील बटा सन्नाटा है मिलता है, ऐसे में ये लोग खुले में शौच जाते हैँ, और बिजली का भी कोई प्रबंध न होने के कारण कई बार बिजली चोरी जैसी घटनाएं भी सामने आती हैँ!
हमारी पड़ताल में आगे ये पता चला की ये प्रवासी लोग देश के अलग अलग कोनों से आटे हैँ, और इनमें से कई लोगों के पास आधार कार्ड या कोई अन्य दस्तावेज तक नहीं होते, न ही क्षेत्रीय थाने में इनकी कोई रजिस्ट्रेशन होती है, जिस वजह से अपराध होने की स्थिति में इन लोगों को पकड़ पाना मुश्किल हो सकता है! प्रशासन के ढुलमुल रवैया के कारण कई तरह के सवाल यहाँ उठने लाज़मी है, वहीं जमीन देते वक़्त इनकी जानकारी जमीन मालिक न पंचायत को देता है, न ही पुलिस और स्थानीय प्रशासन को! मैहरे के स्थानीय विपुल, अंकुश, प्रकाश, संदीप, विमला, संजीव आदि का कहना है की ये लोग शराब पीकर कई बार हुड़दंग भी करते हैँ, और गाली गलौच भी करते हैँ, लेकिन प्रशासन को कई बार चेतने के बाद भी इनपर कोई कार्रवाई नहीं होती, जिससे समाज में आपराधिक प्रवृति को बढ़ावा मिल रहा है! इस स्थिति में मुख्य सवाल यही उठता है की जो पंचायतें खुले में शौच मुक्त होने के दावे कर रही हैँ, उनको एक बार इन झुग्गियों में जाकर जरूर देखना चाहिए, दूसरा प्रशासन के सुस्त रवैया के कारण भविष्य में अगर कोई बढ़ी घटना होती है तो ऐसे में कैसे उन अपराधियों पर शिकंजा कसा जाएगा!इस विषय पर ज़ब हमने बड़सर थाने में बात की तो उन्होंने कहा की रजिस्ट्रेशन करवाने की जिम्मेवारी जमीन मालिक की होती है, और अगर वो इख़्तिल्लाह देंगे तभी हम रजिस्ट्रेशन कर सकते हैँ!ऐसे में सवाल यही उठता है की जमीन मालिक के चंद पैसों के लालच में एक तरफ जहां प्रवासी मजदूरों को मूलभूत सुविधाओं से वँचित रहना पड़ता है, वहीं दूसरी तरफ जमीन मालिक उनकी रजिस्ट्रेशन तक थाने में नहीं करवाते! जिससे आने वाले समय में लगातार ये समस्या और गहराने वाली है!