जौड़े अम्ब पंचायत में NFS स्कीम के अंदर आने वाले लोगों को सस्ता राशन न मिलने से लोग हो रहे परेशान! आपको बता दें की सरकार की NFS योजना के अंतर्गत जिनकी मासिक आय 10 हज़ार से कम है, उन्हें सस्ते राशन का लाभ मिलता है! जौड़े अम्ब पंचायत में भी ऐसे कई परिवार हैँ जिन्हें इस स्कीम का लाभ मिलना था, लेकिन अभी तक नहीं मिल पाया! ऐसे में स्थानीय लोग इस मुद्दे पर पंचायत से सवाल कर रहे हैँ, और पंचायत के ऊपर लापरवाही का आरोप बगी लगा रहे हैँ! स्थानीय पंचायत वासी राकेश कुमार, रीना, रंजना, राजकुमार आदि से बात करने पर ये जानकारी मिली की उन्हें सस्ता राशन उपलब्ध नहीं हो पाया है! अधिक जानकारी लेने पर पता लगा की ये लिस्ट अप्रैल में हुए जनरल जलास में प्रस्तावित की गयी थी, और इसमें कुल 75 लोग डाले गए थे! वार्ड मेंबर प्रदीप कुमार ने बताया की इस सिलसिले में पंचायत ने उनसे बात तक नहीं की, और उनके वार्ड के लोग खुद ही इस लिस्ट में डाल दिए, आगे उन्होंने कहा अगर इस तानाशाह तरीके से पंचायत काम करेगी तो वार्ड मेंबर की पोस्ट सरकार को खत्म कर देनी चाहिए!
उपरोक्त लोगों से जिनको लाभ मिलना था उनसे बात करने पर पता चला की उन्हें इस स्कीम के अंदर डाला तो गया है लेकिन, उन्हें इसका लाभ अब 3 महीने होने को हैँ नहीं मिल पाया है!इस सिलसिले में ज़ब हमने पंचायत सेक्टरी किरन से बात की तो उन्होंने कहा की हम जल्द ही ऑनलाइन नाम चढ़ा देंगे, उसके बाद लोगों को इस स्कीम का लाभ मिलना शुरू हो जायेगा! उन्होंने ये भी बताया की कुछ लोग हर महीने राशन ले रहे हैँ जिस वजह से ऑनलाइन नाम चढ़ाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, हमने इस महीने लोगों को राशन न लेने को कहा है, ताकि नाम एक बार चढ़ जाएं तो उसके बाद स्कीम का लाभ उनको मिलना शुरू हो जायेगा!उप प्रधान रमन कुमार से ज़ब हमने इस सिलसिले में बात की तो उनका कहना था की, हमने कुछ समय पहले ही नाम प्रस्तावित किये थे, लेकिन कितने लोग थे इसकी जानकारी उन्हें नहीं है!इस संदर्भ में ज़ब हमने जौड़े अम्ब की उचित मूल्य दुकान पर इस प्रस्तावित लिस्ट की जानकारी लेने के लिये फ़ोन लगाया तो ये जानकारी प्राप्त हुई की अभी तक उनके पास ऐसी कोई लिस्ट नहीं आयी है! पंचायत अगर लिस्ट ऑनलाइन चढ़ाती है, उसके बाद ही हम सस्ता राशन NFS स्कीम के अंदर लोगों को उपलब्ध करवा सकते हैँ!ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है की इस पूरे प्रकरण में कहीं न कहीं लापरवाही तो बरती गयी है, जिस वजह से 3 महीने होने पर भी प्रस्तावित लिस्ट के नाम ऑनलाइन नहीं चढ़ाये गए हैँ! वजह जो भी हो लेकिन लोग अपने हक़ से महरूम हो रहे हैँ, और जो सुविधा उन्हें सरकार दे रही है उससे वह पंचायत की लापरवाही के कारण वँचित रह रहे हैँ!