बड़सर अस्पताल में एक चौँकाने वाला मामला सामने आया है! आपको बता दें की बड़सर सिविल अस्पताल में एक लड़की अपने माता पिता के साथ बुखार की जाँच करवाने आती है, और डॉक्टर उसे टाइफाइड के टेस्ट के लिये लिखता है, बच्ची के टेस्ट बड़सर अस्पताल ki सरकारी लैब में करवाए जस्ते हैँ, और लड़की की रिपोर्ट पॉजिटिव निकलती है!रिपोर्ट और बेटी को लेकर माता पिता डॉक्टर के पास जाते हैँ, और डॉक्टर रिपोर्ट के अनुसार उपचार शुरू कर देता है! उपचार शुरू होने के 3 दिन बाद माता पिता एक बार दोबारा बच्ची का टेस्ट बाहर निजी लैब से करवाते हैँ! उस टेस्ट रिपोर्ट में लड़की नेगेटिव निकलती है
टाइफाइड 3 दिन में हुआ पॉजिटिव से नेगेटिव! पढ़े ये अचंभित करने वाली खबर!
लड़की नेगेटिव है इस बात को पुख्ता करने के लिये एक अन्य निजी लैब से टेस्ट करवाया जाता है, वहां भी टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव निकलती है, ये देख के लड़की के माता पिता अचंभित हो गए, और इसकी शिकायत ब्लॉक मेडिकल अधिकारी बृजेश शर्मा से कर दी!इस विषय में ज़ब हमने ब्लॉक मेडिकल अधिकारी बृजेश शर्मा से बात की तो उन्होंने कहा की इस तरीके के टेस्ट में रिपोर्ट में कभी कबार खराबी हो सकती है, लेकिन इस विषय में हमने क्लिनिकल लक्षनों के आधार पर ही उपचार शुरू किया है, और जो दवाई दी गयी है, उससे कोई नकारात्मक प्रभाव बच्ची के शरीर पर नहीं पड़ेगा! बच्ची का उपचार शरीर में आ रहे लक्षणो के आधार पर किया जायेगा!ऐसे में सवाल ये उठता है की जिस अस्पताल को सिविल अस्पताल का दर्जा मिला हुआ है, वहां पर ऐसी लापरवाही और उपकरणों की कमी कब तक चलेगी!
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