बड़सर उपमंडल के बिझड़ के रहने वाले बंटी कुमार ने जिंदगी में हार मानना नहीं सीखा है! जिंदगी में चाहे कैसी भी परिस्थिति हो कभी हार नहीं माननी चाहिए बंटी कुमार की जिंदगी इसका जीता जाता उधारण है! आपको बता दें की बंटी कुमार दिव्यांग है, उनकी एक टांग नहीं है, एक एक्सीडेंट के दौरान उनकी एक टांग उनके शरीर से अपग करनी पड़ी! लेकिन बंटी के कुमार के इरादों पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ा! बंटी कुमार बिझड़ में एक किराये के मकान में रहता है, उसके घर में रहने वाला और कमाने वाला वो अकेला ही है!
बंटी कुमार बताते हैँ की एक समय में उसकी जिंदगी निराशओं से भरी हुई थी, लेकिन आज से करीब 7 साल पहले उसने आचार और चटनीयां बेचने का काम शुरू किया, 4 साल की मेहनत के बाद एक स्कूटी खरीदी और करीब 1 लाख रूपये खर्च करने के बाद स्कूटी इस तरह बनवाई की उसपर आचार की बिक्री शुरू की जाये! आज 7 साल बाद भी बंटी कुमार सुबह 6 बजे अपने किराये के कमरे से आचार बेचने निकल जाते हैँ और शाम को 7 बजे घर वापिस लौटते हैँ!
बंटी कुमार ने बताया की वह बिलासपुर के कुछ इलाकों के साथ पूरे हमीरपुर जिला में अपनी स्कूटी पर आचार बेचते हैँ! करेर की आचार फैक्ट्री से वो आचार लाते हैँ और उसे घर घर जाकर बेचते हैँ, सबसे बढ़िया बात की उनके हर अचार की कीमत 100 रूपये है, इसी के साथ चटनीयां और जूस भी अलग से बेचते हैँ, अपनी मेहनत से वो हर महीना 15000 रूपये कमा लेते हैँ, जिससे उनका जीवन यापन चला हुआ है! बंटी कुमार की हिम्मत को सलाम जो एक टांग के सहारे हिम्मत से और मेहनत से अपना जीवन यापन कर रहे हैँ!