जल शक्ति विभाग बड़सर डिवीज़न के अंतर्गत आने वाली 2 दर्जन से अधिक सिंचाई की परियोजनाएं ठप पड़ी हुई हैँ! आपको बता दें की इनमें से अधिकतर स्कीम 10 साल पुरानी हैँ, और उस समय लाखों करोड़ों रूपये की लागत से इन्हें बनाया गया था! इनका उद्देश्य था की गाँवों में लोगों के खेतोँ तक सिंचाई करने योग्य पानी पहुंचाया जाए! इससे पूर्व भी हमने आपको भकरेड़ी पंचायत के मकतेड़ी गाँव में बणी एक ऐसी ही सिंचाई की ठप पड़ी परियोजना पर खबर दिखाई थी, उसके बाद अनार के पौधों के लिये वहां से पानी उपलब्ध करवाया गया, लेकिन अपवाद छोड़ अधिकतर स्कीम बंद पड़ी हुई हैँ!
लाखों करोड़ रुपया खड़ा खड़ा बेकार जा रहा है, और इसका कोई लाभ स्थानीय किसानों को नहीं मिल पा रहा है! इसी वजह से स्थानीय किसान आज भी अधिकतर तौर पर पार्मपरिक फसलों को ही बोने में लगा हुआ है! नकदी फसलों में जहां छोटे किसान को फायदा हो सकता है, पानी की दिक्क़त के कारण वो उस तरफ नहीं बढ़ पा रहा है! और अधिकतर लोग क़ृषि छोड़ रहे हैँ!इस विषय में ज़ब हमने जल शक्ति विभाग के जे.ई आशीष कुमार से बात की तो उन्होंने कहा की अधिकतर समस्या गर्मियों के समय में देखने को मिलती है!
ऐसे में इस बार हमने मकतेड़ी में अनार के पौधों को पानी मुहैया करवाया है, लेकिन किसी बड़ी स्कीम की अगमेंटेशन न होने के कारण गर्मियों में सिंचाई की परियोजना चलना थोड़ा मुश्किल होता है, हालांकि अब इनमें से कुछ स्कीम को PMKSVY के अंतर्गत संचालित किया जायेगा, और कुछ को होर्टिकल्चर विभाग की सहायता से, तो ऐसे में हमें उम्मीद है की आने वाले समय में हम इन परियोजनाओं को सही तरीके से संचालित कर पाएं, और कुछ समय बाद ब्यास परियोजना का पानी भी इन स्कीम को चलाने में मदद करेगा!लेकिन सवाल बनता है की सरकार ऐसी परियोजनाएं लेकर ही क्यों आती हैँ, जिनसे किसी को लाभ नहीं हो सकता, ऐसी परियोजनाओं पर हर साल लाखों करोड़ों रूपये सरकारें खरचती हैँ, और केवल चंद लोगों का फायदा इससे होता है, जो शि में हकदार हो सकता था उसे किसी परियोजना का लाभ नहीं मिल पाता!