लगातार हिमाचल सरकार शिखर की और जाने की बात कर रही है, और शिक्षा के क्षेत्र में हम लोगों ने कितनी तरक्की की है ये भी हमें बार बार याद करवाया जाता है। हिमाचल में लगातार नए कॉलेज और स्कूल खुल रहे हैं, सुदूर से सुदूर क्षेत्र में भी अब स्कूल कॉलेज देखने को मिलते हैं। लेकिन क्या शिक्षा की गुणवत्ता पर हनन कभी कोई ध्यान दिया या नहीं ये भी सोचनीय विषय है। बात करें अगर बड़सर विधानसभा के सबसे बड़े महाविद्यालय की तो उसमें बड़सर महाविद्यालय का नाम प्रमुखता से आता है। बड़सर में महाविद्यालय बनाने की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने ब्याड़ स्कूल के में की थी, उसके बाद 2007 में इस महाविद्यालय में बड़सर सीनियर सेकेंडरी स्कूल में की गयी, लगातार कॉलेज में छात्रों की संख्या बढ़ने के बाद इसके स्थायी भवन को बरोली गांव में बनाया गया , और उसके बाद 2011 में बरोली में स्थित महाविद्यालय भवन में नियमित कक्षाएं शुरू की गई । विज्ञान, कला, वाणिज्य संकायों में 2011 से कक्षाएं शुरू की गई, वर्ष 2017 में इसे स्नातकोत्तर करने की बात कही गयी और वीरभद्र सरकार ने इसे मंजूरी देने के साथ कक्षाएं शुरू करने की बात कही, लेकिन 2017 में सरकार बदलने के बाद इसे स्नातकोत्तर करने की बात तो दूर वर्तमान में स्नातक कक्षाओं के लिए भी अध्यापक और स्टाफ की कमी है।
बात करें अगर महाविद्यालय में अध्यापकों की तो कला संकाय में हिंदी विषय के लिए 2 पद स्वीकृत हैं जिसमें से 1 पद खाली है , अंग्रेजी विषय में 3 पद स्वीकृत हैं जिसमें केवल 1 पद भरा है और 2 अभी भी खाली हैं, अर्थशास्त्र की बात करें तो 1 पद स्वीकृत है जो भरा है, इतिहास विषय में 1 ही पद है जो भरा है, भूगोल में 1 पद स्वीकृत है जो भरा है, संगीत में 1 पद है जो भरा है, राजनीतिक शास्त्र में 1 पद है जो भरा है। अगर बात करें विज्ञान संकाय की तो गणित के 2 पद स्वीकृत हैं जो भरे हैं, फिजिक्स के 2 पद स्वीकृत हैं जो भरे हैं , सबसे चौंकाने वाला रसायन शास्त्र का आंकड़ा है, जिसमें करीब 500 छात्र पड़ते हैं और इसके लिए केवल 2 पद स्वीकृत हैं उनमें से भी 1 पद खाली है, केवल 1 अध्यापक के बल पर 500 छात्रों को पढ़ाना महाविद्यालय के लिए मुश्किल हो रहा है। इसके लिए करीब 3 अध्यापक तो चाहिए जो छात्रों को अच्छे से पड़ा पाएं। बॉटनी और जूलॉजी के 1-1 पद स्वीकृत हैं जो भरे हुए हैं। वहीं अगर गैर शिक्षण कर्मचारियों की बात करें तो सुपरिटेंडेंट और सीनियर असिस्टेंट का 1-1 पद स्वीकृत है जो भरा हुआ है। वहीं 3 क्लर्क में केवल 2 भरी हैं 1 खाली है। चपड़ासी के लिए 5 पद स्वीकृत हैं जो भरे हैं। सफाईकर्मी के 2 पद हैं जो पिछले काफी समय से खाली पड़े हुए हैं। एक महाविद्यालय में सबसे अधिक जरूरी होता है छात्रों के लिए बेहतरीन पुस्कालय का होना, लेकिन बड़सर महाविद्यालय में पुस्तकालय तो है लेकिन उसपर भी अक्सर ताला देखने को मिलता है, लाइब्रेरियन के लिए महाविद्यालय 4 पद स्वीकृत हैं जिसमें सभी के सभी पद खाली हैं। जहां बच्चों को पढ़ाई के समय पुस्तकालय की अधिक आवश्यकता पड़ती है, वहां स्टाफ की कमी के कारण पुस्तकालय का प्रयोग केवल और पहचान पत्र बनाने के लिए किया जाता है। बात करें अगर रेस्ट्रोर और लाइब्रेरी अटेंडेंट की तो उसमें रेस्ट्रोर के 2 पद स्वीकृत हैं जो खाली पड़े हैं। इसमें सीनियर लेक्चरर के 2 और जूनियर लेक्चरर के 3 पद खाली है लैब अटेंडेंट के केवल 1 पद भरा है और 4 खाली हैं, कुल मिलाकर इन 10 पोस्टों में 9 खाली हैं। इस तरह अगर पूरे आंकड़े को आप देखेंगे तो बड़सर महाविद्यालय इस समय स्टाफ की कमी से जूँझ रहा है।
इस विषय में जब हमने महाविद्यालय प्रधानाचार्य से बात की तो उन्होनें बताया कि इस संदर्भ में सरकार को लिखा जा चुका है , और उन्हें उम्मीद है कि सरकार जल्द ही खाली पड़े पदों को भरने के प्रयास करेगी।
इस तरह से बड़सर महाविद्यालय में खाली पड़े पदों से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होती नजर आ रही है।
बयान
रूबल ठाकुर
NSUI राष्ट्रीय संयोजक
18 मई 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह जी जब बक्सर महाविद्यालय के साइंस ब्लॉक की बिल्डिंग के उद्घाटन के लिए जो महाविद्यालय में आए थे तो उस समय तत्कालीन एनएसयूआई जिला उपाध्यक्ष रूबल ठाकुर ने इस महाविद्यालय को पीजी करने की गुजारिश राजा वीरभद्र सिंह जी से रखी थी जिसके बाद 18 मई को ही biad मैं जनसभा के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री ने राजकीय महाविद्यालय बक्सर को m.a. हिस्ट्री एवं एम कॉम कक्षाएं शुरू करने की घोषणा की थी जिसके बाद इसकी अधिसूचना भी जारी हो गई थी परंतु सरकार बदलते ही 4 साल बीत जाने के बावजूद भी यह कक्षाएं शुरू नहीं हो पाई रूबल ठाकुर ने कहा कि जिस दिन कांग्रेस की सरकार हिमाचल प्रदेश में काबिज होगी उसी वर्ष ही राजकीय महाविद्यालय परिसर में इन कक्षाओं को हर हाल में शुरू कराया जाएगा