उपमंडल बड़सर में करीब 50 से अधिक पंचायतें हैँ जहां करीब 60 से 70 हज़ार लोग रहते हैँ! स्वास्थ्य सुविधाओं की अगर बात करें तो बड़सर सिविल अस्पताल के साथ साथ, बिझड़ और भोटा का सरकारी अस्पताल भी है, जो लोगों को स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध करवाते हैँ, लेकिन इस क्षेत्र में कई ऐसी पंचायतें हैँ, जो काफ़ी अंदरूनी इलाकों में हैँ, और बरसात के समय में यहां आवाजाही मुश्किल हो जाती है, बड़सर उपमंडल की जनेन पंचायत,कठियाना, कूल्हेड़ा, लोहडर, दन्दवी, भैल पंचायत, व समताना पंचायत आती है, इन 7 पंचायतों में करीब 15 से 20 हज़ार के करीब आबादी रहती है, और अगर इनकी भौगोलिक स्थति की बात करें तो ये पंचायतें खड्ड, नालों और जंगलों से घिरी हुई हैँ, कई गाँवों में सड़क की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है, ऐसे में अगर कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो अधिकांश समय उसे गाड़ी कर अस्पताल ले जाना पड़ता है, लेकिन बरसात के समय ये काम और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है!
सोचनीय विषय ये भी है की बड़सर बिझड़ और भोटा में भी स्टाफ की कमी है, और इन अस्पतालों में लगातार मरीजों की तादाद बढ़ रही है! इसका कारण यही है की आबादी बढ़ने के अनुपात में नए अस्पताल नहीं खोले गए, और जो हैँ उनमें पूरी सुविधा उपलब्ध नहीं है!दंदवीं पंचायत से संबध रखने वाले पवन कालिया का कहना है की इन सात पंचायतों की भौगोलिक स्थिति बाकि बड़सर से अलग है, और ऐसे में इन्हीं 7 पंचायतों को केंद्र बिंदु बनाकर यहां पर एक phc खोले जाने की जरूरत है, ताकि लोगों को उनके घर द्वार पर डॉक्टरी इलाज़ उपलब्ध हो सके! कठियाना पंचायत के समाजसेवक कमल पठानिया का कहना है की हमारे इस क्षेत्र में सुविधाओं का अभाव है, स्वास्थ्य लाभ से लेकर अन्य सुविधायें लेने के लिये भी यहां के लोग प्रतिदिन कड़ी मुश्क्त करते हैँ, जनैन पंचायत को अगर सेंटर पॉइंट बनाया जाये और यहां पर एक phc खुलता है, तो इन सब पंचायतों को उसका लाभ मिलेगा, और लोगों को डॉक्टरी सलाह के लिये कहीं दूर जाने की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी!कूल्हेड़ा पंचायत के भगत सिंह का कहना है की इन पंचायतों में करीब 17 हज़ार के करीब जनसंख्या है, और यहां के लोगों को अगर अस्पताल जाना पढ़े तो एक दिन व्यतीत हो जाता है, और बीमार व्यक्ति इसमें और बीमार हो जाता है, हमारी प्रशासन से और सरकार से मांग है की जल्द से जल्द इस विषय में कुछ सोचे, और हमारे यहां phc खुलवाकर हमें सुविधा प्रदान करे!