बड़सर महाविद्यालय में 2007 से निरंतर कक्षाएं बैठ रही हैँ, और हज़ारों की संख्या में पिछले एक दशक में यहां से छात्र पढ़ाई करके निकले हैँ! महाविद्यालय में अवल तो कई विषयों में अध्यापकों की कमी है, वहीं दूसरी और जितने छात्र हैँ उस अनुपात में अध्यापकों की संख्या कम है! इसी तरह खेलों का होना एक व्यक्ति के जीवन में कितना महत्व रखता है, इन सबसे भी आप भली भाँती परिचित हैँ!
महाविद्यालय में अगर खेल मैदान की बात करें तो एक बैडमिंटन कोर्ट को छोड़ कर और कोई भी उचित स्थान छात्रों के खेलने के लिए नहीं बना है! इसी के साथ आपको ये भी बता दें की जबसे ये महाविद्यालय शुरू हुआ है, तबसे लेकर आजतक यहां कोई शारीरिक शिक्षक की पोस्ट ही क्रिएट नहीं की गयी है! ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है की म्हाविद्यालय जो बच्चों के सर्वागिंन विकास के लिए बनाये जाते हैँ, और जहां प्रतिभाओं को निखरने का मौका मिलना चाहिए, वहां बड़सर म्हाविद्यालय में कोई शारीरिक शिक्षक की पोस्ट ही पिछले 15 साल से क्रिएट नहीं की गयी है!
इस विषय पर ज़ब हमने प्रधानाचार्य डॉक्टर अश्वनी शर्मा से बात की तो उन्होंने कहा की सरकार के माध्य्म से यहां पर अभी कोई शारीरिक शिक्षक की पोस्ट क्रिएट नहीं की गयी है, लेकिन उन्होंने सरकार के समक्ष ये मांग रखी है की जल्द से जल्द हमें शारीरिक शिक्षक उपलब्ध करवाया जाये, और हमें उम्मीद है की सरकार और विभाग जल्द ही इस और अपना सकरात्मक रुख पेश करेगा!