उपमंडल बड़सर के मैहरे में स्थित बिजली विभाग के दफ्तर की साथ लगती जगह पर काफ़ी दशक पहले सरकारी क्वार्टर बनाये गए थे! उस समय ये क्वार्टर बाहर से आने वाले कर्मचारियों के लिये बनाये गए थे ताकि कर्मचारियों को अपनी रिहाश के लिये किसी भी तरह की दिक्क़त का सामना न करना पढ़े!
लेकिन पिछले लम्बे अरसे से इन क्वार्टर्स की तरफ कोई ध्यान प्रशासन और सरकार की और से नहीं दिया गया! आपको बता दें की बड़सर डिवीज़न बिजली विभाग के अधिशाषी अभियंता से लेकर अन्य कर्मचारियों के लिये बनाई गयी रिहायशी ईमारतों में अब केवल जाले ही आपको देखने को मिलेंगे, और इन इमारतों पर केवल आपको घास उगी हुई दिखेगी!
इसी के साथ लगती जमीन पर 2011 में बड़सर में बस स्टैंड बनाने की बात कही गयी थी और जिसके लिये शिलान्यास पटिका भी स्थापित की गयी थी, लेकिन उसे बाद में ये कहकर नकार दिया गया की यहां उतनी जगह नहीं है, जिसमें एक बस स्टैंड बनाया जा सके, लेकिन सवाल ये उठता है की जहां एक तरफ इतनी भूमि पर खंडहर ईमारतें ख़डी हैँ, जिनकी तरफ न प्रशासन न ही सरकार का कोई ध्यान है, दूसरी तरफ आज भी बड़सर की जनता को बस स्टैंड का इंतज़ार है!
लेकिन प्रतिनिधियों के रुख से ये तस्वीर तो साफ हो जाती है, की उनका ध्यान इन मुद्दों की तरफ नहीं है!इस विषय में ज़ब हमने बड़सर विद्युत् विभाग के अधिशाषी अभियंता सुनील भाटिया से बात की तो उन्होंने बताया की जल्द ही इनमें से कुछ ईमारतें डिसमेंटल कर दी जाएंगी, और फिलहाल जो भी कर्मचारी बाहर से यहां नौकरी करने आते हैँ, उन्हें निजी कमरे किराये पर लेकर रहना पड़ता है!
लेकिन सबसे बढ़ा सवाल यही आता है की ज़ब सरकारी आवास उपलब्ध हैँ तो फिर कर्मचारी बाहर रहने को मजबूर क्यों हैँ, और इन जर्जर हुई ईमारतों की स्थिति को सुधारने के लिये कोई कार्य या कदम अब तक क्यों नहीं उठाये गए!