बड़सर अस्पताल क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण अस्पताल है। यहां पर क्षेत्र के विभिन्न गांव से लोग अपना इलाज करवाने आते हैं। बात करें अगर महिलाओं की तो बड़सर क्षेत्र में महिलाओं की एक बड़ी तादाद है। और इस तादाद का एक बड़ा हिस्सा सरकारी अस्पताल में आता है। लेकिन बड़सर में बात करें अगर महिलाओं को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधा की तो बड़सर अस्पताल में यह चीजें आपको नदारद ही मिलेंगी। प्रेग्नेंसी के समय महिलाओं को एक अच्छी टेस्ट व्यवस्था और एक अच्छी महिला रोग विशेषज्ञ की आवश्यकता पढ़ती है लेकिन उस समय में बड़सर की महिलाओं को ऐसी कोई भी व्यवस्था बड़सर अस्पताल में उपलब्ध नहीं हो पाती है ,और उन्हें विभिन्न कागजात बनाने के लिए एक कमरे से दूसरे कमरे तक भागना पड़ता है, जानकारी के अभाव में बहुत सी महिलाओं को खाली हाथ अस्पताल से लौटना पड़ता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि यहां पर नियमित तौर से अल्ट्रासाउंड के टेस्ट की सुविधा उपलब्ध नहीं है। बड़सर अस्पताल में बात करें अगर अल्ट्रासाउंड की तो यहां पर अल्ट्रासाउंड केवल 2 दिन सोमवार व बुधवार को ही किए जाते हैं , इसी के साथ जब हमने अल्ट्रासाउंड करवाने आये मरीजों से बात की तो उन्होनें हमें बताया कि उन्होनें अल्ट्रासाउंड टेस्ट के लिए एक महीना पहले अप्लाई किया था, और उन्हें टेस्ट की डेट एक महीना बाद कि मिली!ऐसे में अगर किसी को अल्ट्रासाउंड जल्दी करवाना हो तो उसके पास निजी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराने के अलावा और कोई चारा नहीं हैं , साथ लगते निजी अस्पतालों में नियमित तौर पर अल्ट्रासाउंड किए जाते हैं। ऐसे में लोगों को सरकारी अस्पताल की बजाए निजी अस्पतालों में जाकर और अधिक पैसा खर्च कर अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ता है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है की जो अस्पताल सरकार ने क्षेत्र की जनता को हर तरह की स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए बनाया था वहां पर वह सुविधा केवल कागजों और भाषणों में ही सिमट कर रह गई है। इस विषय पर जब हमने बड़सर के ब्लॉक मेडिकल अधिकारी डॉक्टर एचआर कालिया से बात की तो उन्होंने बताया की ही बड़सर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के लिए सरकार की तरफ से कोई पद स्वीकृत नहीं है। वह हमने स्थानीय लोगों को अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए रिक्वेस्ट पर अल्ट्रासाउंड के डॉक्टर बुलवाएं हैं। बड़सर अस्पताल में सोमवार व बुधवार को अल्ट्रासाउंड किए जाते हैं।
दूसरी सबसे बड़ी समस्या यहां पर ये आती है कि अगर कोई प्रेग्नेंट महिला अल्ट्रासाउंड करवा लेती है, तो उसके लिए महिला रोग विशेषज्ञ भी बड़सर अस्पताल में उपलब्ध नहीं है, और ऐसे में महिलाओं को या तो हमीरपुर जिला अस्पताल जाना पड़ता है या तो किसी निजी अस्पताल में।
बड़सर अस्पताल में केवल दो दिन ही अल्ट्रासाउंड होते हैं , लेकिन उस दिन भी अस्पताल प्रशासन अल्ट्रासाउंड कराने आये लोगों के लिए बैठने की सुविधा मुहैया नहीं करवा पाता है, और चाहे कोई बुजुर्ग हो या कोई महिला हो या बच्चा हो सबको या तो खड़े रहना पड़ता है या तो कहीं आसपास सीढ़ियों पर बैठना पड़ता है। इससे सम्मानजनक इलाज के अधिकार की बात जो कहि जाती है, वो भी कहीं न कहीं असत्य साबित होती हुई नजर आती है। बड़सर अस्पताल में इमारतें तो नई नई बनाई जा रही हैं , लेकिन उन इमारतों में काम करने वाले स्टाफ व लोगों के लिए सुविधा की कमी है, जो कि हमारे अधूरे विकास की कहानी को हर दिन बयान कर रही है।