मैहरे बाजार बड़सर विधानसभा का एक प्रमुख बाजार है। और उपमंडल और मंडल स्तर के कई सरकारी अधिकारी यहां पर बैठते हैं, इसी के साथ वर्तमान विधायक , पूर्व विधायक सबके दफ्तर और घर सभी मैहरे बाजार के नजदीक हैं लेकिन अगर बात करें विकास की और मूलभूत सुविधाओं की तो इसको हम सबसे पिछड़ा हुआ कह सकते हैं, क्योंकि इसके पीछे एक ठोस वजह है कि यहां पर मूलभूत सुविधाओं की भरपूर कमी है। सबसे बड़ा मुद्दा ये आता है कि मैहरे नाम की जगह राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में ही नहीं आती है। मैहरे 4 पंचायतों बणी, भकरेडी, बल्याह, बड़सर में आता है। और इसी कारण यहां पर विकास की रफ्तार थोड़ी सुस्त है। पहले भी यहां पर नगर पंचायत बनाने की मांग स्थानीय लोगों द्वारा उठाई गई थी, लेकिन स्थानीय पंचायतों द्वारा इस मांग को अनसुना कर दिया गया। इसके परिणाम स्वरूप मैहरे में गन्दगी का आलम बढ़ता जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ बात करें स्ट्रीट लाइट्स की तो रात के समय मैहरे बाजार में रोशनी आपको देखने को नहीं मिलेगी। हालांकि बाजार कमेटी प्रधान विनोद लखनपाल से हमारी बात हुई तो उन्होनें कहा कि अभी हाल में ही मैहरे बाजार में 5 जगह पर लाइट लगवाई गयी है। लेकिन मूल बात वही है कि जब तक मैहरे को अलग पंचायत या नगर पंचायत नहीं बनाया जाता तब तक कोई भी स्थाई समाधान नहीं निकल सकता।
आज स्थानीय लोग दिन प्रतिदिन बढ़ रही कूड़े की समस्या से दो चार हो रहे हैं, वहीं एक कस्बे का रूप ले चुका मैहरे बाजार और इसके आसपास का क्षेत्र जो कॉलोनियों के रूप में स्थापित हो रहा है , वहां पर न ही कोई बहुउद्देशीय सामुदायिक भवन है, न ही कोई पार्क है, और सबसे बड़ी बात की दिन प्रतिदिन बढ़ रही कस्बे की जनसंख्या को सम्भालने के लिए कोई लोकल संस्था नहीं है। मैहरे बाजार हर वर्ष सरकार के खाते में करोड़ों रुपये का टैक्स जमा करवाता है, लेकिन उसके बदले में मूलभूत सुविधाएं भी इस कस्बे के लोगों को नहीं मिल पा रही हैं।
इस विषय पर जब हमने उपमंडलाधिकारी बड़सर शशिपाल शर्मा से बात की तो उन्होनें कहा कि अगर स्थानीय लोगों द्वारा ऐसी कोई मांग उनके समक्ष आती है, तो उसको सरकार के सामने रखा जाएगा। और हमारा मानना भी है कि कस्बे की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए नगर पंचायत या ग्राम पंचायत बनाना सही कदम रहेगा।
बाजार कमेटी प्रधान विनोद लखनपाल ने बताया कि बाजार में फैले कूड़े का समाधान तभी हो सकता है जब यहां पर नगर पंचायत बन जाएगी। और हम भी प्रशासन के समक्ष इस मांग को पुर जोर तरीके से उठाते रहे हैं। और हमारा मानना है कि जल्द ही मैहरे को नगर पंचायत बनाया जाना चाहिए। ताकि कूड़े और लाइट्स जैसी अन्य समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द किया जाए।
मेरा मानना है कि मैहरे को एक अलग पंचायत बनाने का समय अब आ गया है, क्योंकि चार पंचायतों में बंटे होने के कारण मैहरे का विकास नहीं हो पा रहा है, और दिन प्रतिदिन हमें बहुतायत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इससे छुटकारा तभी मिल सकता है जब यहां एक अलग पंचायत बनाई जाएगी
सोनू बंसल जो कि स्थानीय दुकानदार हैं उनका कहना है कि मैहरे बाजार शब्द इतने समय से प्रयोग में लाया जाता है, लेकिन अचंभे की बात यह है कि ऐसा कोई नाम राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में ही नहीं है, जो कि एक सोचनीय विषय है, ये क्षेत्र चार पंचायतों में बंटा हुआ है, जिस कारण कोई भी पंचायत इस क्षेत्र की तरफ ध्यान नहीं देती है। और हमारी ये मांग है कि मैहरे को राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में लाकर इसे एक अलग पंचायत का दर्जा दिया जाए, ताकि इसका मूलभूत विकास किया जा सके।
स्थानीय दुकानदार रजनीश अग्निहोत्री एक रेस्टोरेंट चलाते हैं , और उनका कहना है कि मैहरे एक बड़ा बाजार है , और प्रतिदिन लोग सैंकड़ों की संख्या में यहां पर खरीददारी करने व अपने अन्य कामों से आते हैं। हमारा काम लोगों को खाना खिलाने का है, जो हम पूरा करते हैं। लेकिन हमें कूड़े के निपटारे में बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, पिछले 15 साल से हम मैहरे को एक अलग पंचायत बनाने की मांग कर रहे हैं लेकिन किसी भी सरकार ने हमारी बात आज तक नहीं सुनी, और आज समस्या ज्यादा विकराल तब हो गयी जब इस कस्बे में रहने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है, और उनके कूड़े के निपटारे के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा, इसका सबसे बड़ा कारण मैहरे का 4 पंचायतों में बंटा होना है, अतः हमारी ये मांग है कि मैहरे को राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में जगह देकर इसे एक अलग पंचायत बनाया जाए।
विकास मंडल मैहरे के प्रधान बिशन दास सोनी ने कहा कि वो पिछले काफी समय से इस मांग को सरकार के समक्ष रखते आये हैं, लेकिन सरकार व स्थानीय प्रशासन उनकी मांग को लगातार अनसुना करता आ रहा है। मैहरे में न ही कोई पार्क की व्यवस्था है , न ही बहुउद्देशीय भवन है न स्ट्रीट लाइट्स का प्रबंध है न ही यहां कचरा प्रबंधन के लिए कोई ठोस व्यवस्था है। मैहरे बाजार जिला हमीरपुर के बड़े बाजारों में आता है और यहां की जरूरतें भी अब दिन प्रतिदिन बड़ रही हैं, और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए यहां एक अलग पंचायत का गठन करना अति आवश्यक है, क्योंकि पिछले कई वर्षों से चारों पंचायतों ने मैहरे वासियों से सौतेला व्यवहार किया है, यहां पर किसी भी तरह का विकास आपको देखने को नहीं मिलेगा। इसे आप वोट की राजनीति कहें या कुछ और , वजह चाहे जो भी हो , लेकिन इस तरीके से मैहरे वासियों के साथ व्यवहार असहनीय है, और हमारी मुख्य मांग अब यही है कि हमें चार पंचायतों से अलग कर एक अलग पंचायत के नागरिक का दर्जा प्राप्त हो।
स्थानीय दुकानदार शेखर मनकोटिया का कहना है कि हमें कई वर्ष हो गए मैहरे में रहते हुए लेकिन मूलभूत सुविधाएं हमें कभी नहीं मिली, इसका सबसे बड़ा कारण मैहरे में एक अलग पंचायत का न होना है। हमारी दुकान किसी और पंचायत में आती है, तो हमारा घर किसी और पंचायत में जिस कारण एक जगह का होते हुए भी हमें काम करवाने अलग अलग पंचायत में जाना पड़ता है। लेकिन अगर एक नागरिक की हैसियत से देखा जाए तो हमारे लिए मूलभूत सुविधाओं के नाम पर सिर्फ झूठे वादे ही हैं। हमारी मांग है कि जकड़ से जल्द सरकार मैहरे को एक अलग पंचायत घोषित करे, ताकि हम भी खुद को एक स्थायी पंचायत का निवासी मैन सकें और हमें भी वो सारी सुविधाएं मिलें जो बाकी सबको मिलती है।