26 मार्च 2025 को भारत की सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई “इंसान की हत्या से भी बड़ा अपराध” है। इस फैसले के तहत अब हर अवैध रूप से काटे गए पेड़ पर ₹1 लाख का जुर्माना लगेगा। यह कदम भारत में हरियाली को बचाने और जलवायु परिवर्तन से लड़ने की दिशा में एक बड़ी जीत माना जा रहा है ।

क्यों लिया गया यह फैसला?
हाल के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने देखा कि देश में जंगलों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। इससे प्रदूषण बढ़ रहा है, जल संकट गहरा रहा है, और जैव विविधता को नुकसान पहुँच रहा है। कोर्ट ने कहा कि पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वालों पर कोई दया नहीं बरती जानी चाहिए। यह फैसला उन लोगों के लिए सख्त चेतावनी है जो प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते हैं।
फैसले का असर
पर्यावरणविदों की जीत: पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है। यह लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करता है।
उद्योगों पर प्रभाव: निर्माण कंपनियाँ, बिल्डर्स, और लकड़ी उद्योग अब सख्त नियमों का पालन करने को मजबूर होंगे।सरकारी नीतियाँ: राज्य सरकारों को वृक्षारोपण और वन संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

तीर्थ स्थलों पर प्रभाव
भारत के तीर्थ स्थल जैसे केदारनाथ और बद्रीनाथ भी जंगलों की कटाई से प्रभावित हो रहे हैं। यहाँ पर्यटन और अवैध निर्माण के कारण हरियाली कम हुई है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इन पवित्र स्थानों को बचाने में मदद कर सकता है, जिससे तीर्थयात्रियों को शुद्ध वातावरण मिले।
आगे क्या होगा?
यह फैसला केवल एक कानूनी कदम नहीं, बल्कि भारत के हरे-भरे भविष्य की नींव है। अब राज्य सरकारों और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे इसे सख्ती से लागू करें। क्या यह अवैध कटाई को रोक पाएगा? क्या भारत फिर से हरा-भरा होगा? यह समय बताएगा।
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