हाथों में मुर्गे के कटआउट लेकर विपक्ष ने विधानसभा परिसर में किया प्रदर्शन, सरकार के खिलाफ नारेबाजी

हिमाचल प्रदेश में मुर्गा प्रकरण पर सियासत गरमा गई है।
तपोवन में चल रहे शीत सत्र के दूसरे दिन सदन के भीतर और बाहर खूब गर्माहट रही। गुरुवार को भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही दलों ने विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किए। सुबह भाजपा विधायकों ने विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले  मुर्गे के कटआउट हाथ में लेकर प्रदर्शन किया, वहीं कांग्रेस विधायकों ने भोजनावकाश के दौरान सदन के बाहर संविधान निर्माता भीमराम आंबेडकर के चित्र लेकर धरना दिया। सुबह 11:00 बजे नियम-67 के तहत विधानसभा की कार्यवाही स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा से शुरू हुई। इसमें मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष में नोकझोंक भी हुई। दोनों ओर से भ्रष्टाचार के आरोप-प्रत्यारोपों के तीर चले। गुरुवार को दूसरे दिन भी न तो प्रश्नकाल और न ही शून्यकाल शुरू हो पाया। सुबह पहले भाजपा विधायक दल नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के नेतृत्व में विधानसभा परिसर में इकट्ठा हुआ। भाजपा विधायकों ने सदन के बाहर मुर्गे के कटआउट लेकर विरोध प्रदर्शन किया।


जयराम ने कहा कि जिन लोगों ने जंगली मुर्गा खाया, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। जंगली मुर्गा वन्य प्राणी अधिनियम के तहत संरक्षित है। उन्होंने कहा कि कार्रवाई मीडिया या अन्य लोगों पर की जा रही है। इस दाैरान भाजपा विधायकों ने सुक्खू भैया-सुक्खू भैया, जंगली मुर्गा किसने खाया… के नारे लगाए।   विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बातचीत में जयराम ठाकुर ने कहा कि सीएम के कुपवी दाैरे के दाैरान रात्रि भोज के मेन्यू में 12 नंबर पर जंगली मुर्गे का भी जिक्र था। सीएम ने डिनर के दाैरान खुद जंगली मुर्गे का जिक्र किया। लेकिन हैरानी  की बात है कि सीएम के डिनर वाले वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर करने पर विधायक व कुछ मीडिया के लोगों पर एर्फआईआर दर्ज की गई, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। 

पंचायत प्रधान की शिकायत पर दर्ज हुआ है मामला
मुर्गा प्रकरण में कुपवी की कुलग पंचायत की प्रधान सुमन चौहान और नीटू परमार की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज किया गया है। शिकायत में महिला प्रधान ने कहा कि सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और कई लोगों ने व्यक्तिगत हैंडल पर फर्जी मेन्यू शेयर किया। इसकी वजह से इलाके के पारंपरिक भोजन और संस्कृति को नुकसान पहुंचा है। इस तरह का दुष्प्रचार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। शिकायतकर्ताओं ने बताया कि 13 दिसंबर को उनके गांव टिक्कर में विशेष अतिथि आए थे, जिनके स्वागत के लिए गांव की महिलाओं ने पारंपरिक भोजन तैयार किया गया था। लेकिन एक फर्जी मेन्यू शेयर किया गया। पुलिस ने शिकायत पर भारतीय न्याय संहिता की धारा-353 और 356 के तहत केस दर्ज किया है। 

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क्या है पूरा मामला
गाैरतलब है कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू 13 दिसंबर को कुपवी इलाके के दौरे पर थे। रात को उन्होंने टिक्कर गांव में विश्राम किया था। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ता के घर पर डिनर किया था। डिनर का मेन्यू सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इसमें जंगली मुर्गे का भी जिक्र था। यहां तक कि सीएम भी मुर्गा परोसने की बात कहते हुए नजर आए थे। सीएम का वीडियो और मेन्यू काफी ज्यादा वायरल हुए थे। हालांकि, सीएम ने मीट खाने से इन्कार किया था। सीएम के कार्यक्रम में जंगली मुर्गा परोसने पर सवाल उठाए गए थे। उधर, विधायक सुधीर शर्मा ने कहा कि सरकार डर के मारे एफआईआर कर रही है। कितने मुर्गे कटे हैं, इसकी जांच होनी चाहिए। सीएम के मेन्यू में मुर्गे का जिक्र था।

देसी और जंगली मुर्गे में फर्क समझें भाजपा विधायक : किमटा
 विधानसभा सत्र के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा विधायकों द्वारा किए गए ‘मुर्गा प्रदर्शन’ पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन महासचिव रजनीश किमटा ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन प्रदर्शन तथ्यों पर आधारित होना चाहिए। विपक्ष के पास सरकार को घेरने के लिए कोई मुद्दे नहीं बचे है इसलिए उनको सिर्फ यही मुद्दा मिला। किमटा ने कहा कि कुपवी दौरे के दौरान ग्रामीणों द्वारा परोसा गया मुर्गा जंगली नहीं बल्कि देसी था। इसे लोग घरों में पालते हैं। भाजपा के नेता खुद प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पारंपरिक तरीके से पाले जाने वाले देसी मुर्गे की तस्वीरें हाथों में उठाए हुए हैं, लेकिन नारे जंगली मुर्गे के लगा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष अगर चाहें तो अपने विधायकों के साथ कुपवी आएं, हम उनका भी स्वागत और आथित्य सत्कार करेंगे।

जब भाजपा विधायकों को देसी और जंगली मुर्गे में अंतर तक नहीं पता तो प्रदर्शन किस बात पर हो रहा है? भाजपा विधायक देसी और जंगली मुर्गे में फर्क समझें। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने वीडियो को काट-छांटकर सोशल मीडिया और मीडिया में फैलाया। वीडियो के जिस भाग में इस बात का जिक्र किया गया था कि स्थानीय भाषा में घरों में पाले गए देसी मुर्गे को जंगली मुर्गा बोलते हैं, उसे काट दिया गया, जिससे ग्रामीणों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में पंचायत ने शिकायत दर्ज करवाई है और यह उनका निजी निर्णय है। सरकार या कांग्रेस पार्टी ने किसी के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं करवाई है। उन्होंने कहा कि पंचायत के प्रधान ने अपने क्षेत्र की छवि को खराब करने के प्रयासों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। यह उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। सरकार या कांग्रेस पार्टी इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर रही है।

प्रधान और ग्रामीणों ने कुपवी थाने के बाहर की नारेबाजी, कार्रवाई की मांग
 जंगली मुर्गा प्रकरण को लेकर दुष्प्रचार करने वालों के खिलाफ टिक्कर सहित आसपास के गांव के लोग विरोध में उतर गए है। ग्रामीणों ने वीरवार को कुपवी थाने में पहुंचकर शिकायत दर्ज होने के बाद कड़ी कार्रवाई की शीघ्र मांग की है। कुलग पंचायत की प्रधान सुमन चौहान और ग्रामीण वीरवार को कुपवी थाने पहुंचे और दुष्प्रचार करने पर नारेबाजी की। उन्हेंने कहा कि इससे इलाके के पारंपरिक भोजन और संस्कृति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में राजनीतिक द्वेष की भावना से दुष्प्रचार किया जा रहा है। उन्होंने प्रशासन से इस तरह के दुष्प्रचार करने वालों के खिलाफ जल्द कार्रवाई की मांग की है।

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