बड़सर मदन शर्मा।।।। बड़सर उपमंडल का सिविल अस्पताल, इस उपमंडल की 52 पंचायतों और बिलासपुर व और ऊना जिले के बड़सर के साथ लगते गांवो के लोगों को स्वास्थ्य संबंधी सेवाऐं देता है, लेकिन इस हसपताल में स्त्री रोग,बाल रोग व मेडिसिन विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद काफी लंबे समय से खाली चल रहे हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ व मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉक्टरों के न होने के कारण यहां की आम जनता को इलाज के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल्स में इलाज के लिए मजबूर जाना पड़ता है व आमतौर पर ज्यादातर मरीजों को हमीरपुर- ऊना या अन्य हसपतालों को रेफर कर दिया जाता । इस हसपताल की ओपीडी रोजाना 250 से 300 मरीजों की होती है । इस समय इस उपमंडलीए हस्पताल में 5 डॉक्टर हैं जिनके पास केबल 3 और 5 वर्ष का ही एक्सपीरियंस है। लेकिन वर्तमान समय में इस हसपताल में केवल अनेसथीसिया का एक विशेषज्ञ डॉक्टर है। अभी हाल ही में बाल रोग विशेषज्ञ की ट्रांसफर के बाद मामला और गंभीर हो गया है । पता चला है कि अत्याधिक रोगी इसी बाल रोग विशेषज्ञ के पास अपना इलाज कराने के लिए लाइन में खड़े रहते थे व थोड़ा एक्सपीरियंस वाले डॉक्टरों के पास जाने से घबराते थे। अब वर्तमान में कोई भी वरिष्ठ डॉक्टर इस अस्पताल में नहीं है। इस कारण रोगियों को इलाज के लिए दो चार होना पड़ रहा है। इस समय बीएमओ के अलावा सिविल हॉस्पिटल में सभी डॉक्टर 2 से 5 साल के एक्सपीरियंस वाले हैं व अल्पकाल अवधि के एक्सपीरियंस वाले डॉक्टरों के साथ वरिष्ठ डॉक्टरों की नियुक्ति भी इस सिविल हॉस्पिटल में रोगियों के सही इलाज के लिए नितांत जरूरी है। इन नए डॉक्टरों को रोगियों के इलाज के लिए परिपक्व होने के लिए विशेषज्ञों व वरिष्ठ डॉक्टरों का इस हॉस्पिटल में स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियुक्तियां करना बेहद आवश्यक है । इस हॉस्पिटल में वर्तमान में सभी डॉक्टर बिल्कुल अल्प अवधि के एक्सपीरियंस बाले लगा दिए गए हैं,जो कि इस सिविल अस्पताल में इलाज करवाने के लिए आने वाले नागरिक और इंडोर पेशेंट के साथ भद्दा मजाक है।
बड़सर का सिविल अस्पताल 50 बिस्तर का अस्पताल है, और एक बड़े क्षेत्र को सेवाएं देने के साथ साथ राष्ट्रीय उच्च मार्ग 503a के साथ स्थापित होने के कारण, आये दिन सड़क दुर्घटनाओं क़ी इमरजेंसी रहती है, वहीं एक दिन में औस्तन 250 से 300 मरीज डॉक्टरी सलाह और इलाज़ के लिये आते हैं।वहीं उपमंडल के अन्य प्राइमरी हॉस्पिटल और CHC के लिये भी इसी अस्पताल से डॉक्टर्स को डेपुटेशन पर भेजा जाता है। हैरानी की बात यह है कि इस सिविल अस्पताल में कभी भी पूरे डॉक्टर नहीं लगाए जाते और विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति अगर हो भी जाए तो साल 6 महीने के बाद बदल दिए जाते हैं जबकि इस उपमंडल के हजारों रोगियों के स्वास्थ्य सेवाओं की जिम्मेदारी इस उप मंडलीय चिकित्सालय के ऊपर है। बड़सर के सिविल अस्पताल में मुख्यतौर पर मेडिसिन, महिला रोग, बाल रोग, व हड्डी रोग विशेषज्ञ का होना आवश्यक है, लेकिन बड़सर सिविल अस्पताल की स्थिति शायद अधिक गंभीर है, और डॉक्टरों की कमी से जूँझ रहे इस अस्पताल क़ी दशा वेंटीलेटर पर पड़े बीमार व्यक्ति की तरह है। यहां की स्थानीय जनता ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली हिमाचल सरकार से बड़सर सिविल अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति करने की मांग क़ी है और इस अस्पताल में सौ विस्तर बाले हॉस्पिटल की बिल्डिंग बनाने की भी मांग की है ताकि बढ़ रही आबादी और बीमारियों को देखते हुए आम वह गरीब लोगों को सरकारी अस्पताल में सस्ती स्वस्थ संबंधी सुविधाएं मिल सकें। दूसरी तरफ इस सिविल हॉस्पिटल के अंतर्गत प्राइमरी अस्पताल भोटा की जमीन अभी तक स्वास्थ्य विभाग के नाम नहीं हो सकी जबकि यह हॉस्पिटल कई वर्षों से कार्यरत है और दूसरी तरफ विजिडीं हॉस्पिटल के भवन के निर्माण का निर्माण भी होना है।
इस बारे में ब्लॉक मेडिकल अधिकारी डॉक्टर बृजेश शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बड़सर के सिविल हॉस्पिटल में मेडिसन, बाल रोग विशेषज्ञ व कम से कम 2 वरिष्ठ डॉक्टरों की नियुक्ति की तुरंत आवश्यकता है।उन्होंने बताया कि स्त्री रोग विशेषज्ञ की तब तक नियुक्ति की जरूरत नहीं है जब तक इस अस्पताल में स्त्रियों के इलाज के लिए एक ऑपरेशन थिएटर और अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो जाती क्योंकि इस समय हॉस्पिटल में कुछ पुराने भवन उखाड़ दिए गए हैं और उनकी जगह नए भवनों का निर्माण होना बाकी है और अन्य सुविधाएं भी तभी प्राप्त होंगी जब नये भवनों का निर्माण हो जाएगा बीएमओ ने यह भी कहा कि 50 बेडेड हॉस्पिटल का निर्माण भी अभी नहीं हो पाया क्योंकि इसके लिए अभी आर्किटेक्ट से जो एस्टीमेट बनना था वह नहीं वन पाया, जयूं ही आर्किटेक्ट का काम पूरा हो जाएगा तो लोक निर्माण विभाग के द्वारा सरकार को भवन निर्माण के लिए राशि जारी करने के लिए अनुरोध किया जाएगा।
उधर डॉक्टरों और अन्य स्टाफ के लिए क्वार्टर के निर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है व बिझडीं के प्राइमरी हॉस्पिटल भवन निर्माण के लिए धनराशि भी जारी कर दी गई है उसका निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा व भोटा प्राइमरी हॉस्पिटल की भूमि को स्वास्थ्य विभाग के नाम करवाने का कार्य भी कानूनी कार्रवाई पूरी होने के बाद पूर्ण हो जाएगा।
इस बारे स्थानीय विधायक इंद्रदत लखन पाल से भी बड़सर विधानसभा क्षेत्र में स्वस्थ संबंधी सेवाओं को बढ़िया बनाने के लिए पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह स्वास्थ्य विभाग के संबंधित अधिकारियों से इस बारे में इन टच हैं और तुरंत ही इन सभी समस्याओं का निवारण कर दिया जाएगा व बड़सर में भी मेडिसिन और बाल रोग विशेषज्ञ और दो वरिष्ठ डॉक्टरों की नियुक्ति कर दी जाएगी ताकि इस क्षेत्र के नागरिकों को स्वस्थ संबंधी बढ़िया सेवाएं उपलब्ध हो सकें वे उन्होंने बताया कि बड़सर का सिविल हॉस्पिटल जो तत्कालीन मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह के समय में 50 विसतरों बाला घोषित किया गया था अब इसे सौ विसतरों का हॉस्पिटल बनाने का सरकार से अनुरोध किया गया है। उन्होंने बताया कि सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार ने यह फैसला किया है कि हर विधानसभा क्षेत्र में सभी सुविधाओं युक्त मॉडल अस्पताल बनाए जाएंगे और इस कड़ी में बड़सर सिविल अस्पताल को एक आधुनिक सुविधाओं से युक्त मॉडल अस्पताल बनाने का निर्णय लिया गया।
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