एचपीयू शिमला: यूआईटी में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितता के आरोप, सरकार ने दिए जांच के आदेश
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (यूआईटी) में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितता का मामला सामने आया है। शिकायत के आधार पर सरकार ने जांच के आदेश जारी किए हैं।
शिकायत का विषय
शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर यह आरोप लगाया कि बिना फैलोशिप होल्डर एक सरकारी कर्मचारी को नियमों के विपरीत पीएचडी में प्रवेश दिया गया। जबकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों के अनुसार, केवल फैलोशिप होल्डर अभ्यर्थियों को ही पीएचडी में प्रवेश मिल सकता है।
क्या है मामला?
- नवंबर 2024 में एचपीयू के 28 विभागों में राष्ट्रीय स्तर की फैलोशिप होल्डर अभ्यर्थियों के लिए पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया आयोजित की गई थी।
- 27 विभागों ने फैलोशिप होल्डर उम्मीदवारों को ही प्रवेश दिया।
- यूआईटी में कथित तौर पर एक गैर-फैलोशिप होल्डर और सरकारी कर्मचारी को पीएचडी में प्रवेश प्रदान किया गया।
विश्वविद्यालय का पक्ष
एचपीयू के अधिष्ठाता अध्ययन, प्रो. बीके शिवराम ने स्पष्ट किया कि अभी तक यूआईटी में किसी को पीएचडी में प्रवेश को अंतिम मंजूरी नहीं दी गई है।
- आवेदन अभी संकाय की स्टैंडिंग कमेटी से अनुमोदन की प्रक्रिया में है।
- स्टैंडिंग कमेटी में सभी तथ्यों की समीक्षा के बाद ही नियमों के अनुसार निर्णय लिया जाएगा।
सरकार का कदम
शिकायत के बाद सरकार ने विश्वविद्यालय प्रशासन को मामले की जांच कर उचित कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
- जांच में यूआईटी निदेशक द्वारा सभी तथ्यों को पेश किया जाएगा।
- यदि प्रवेश प्रक्रिया नियमों के विरुद्ध पाई जाती है, तो इसे रद्द कर दिया जाएगा।
यूजीसी के नियमों का उल्लंघन
शिकायत के अनुसार, यूजीसी के नियमों में स्पष्ट है कि पीएचडी में प्रवेश केवल उन अभ्यर्थियों को दिया जा सकता है जो राष्ट्रीय स्तर की फैलोशिप प्राप्त कर रहे हों। इस नियम का पालन न करने से प्रवेश प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं।
निष्कर्ष
एचपीयू यूआईटी में पहली बार हुई पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर उठे सवाल गंभीर हैं। यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह उच्च शिक्षा में पारदर्शिता और नियमों के पालन पर सवाल खड़ा करता है। सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा मामले की निष्पक्ष जांच के बाद ही सटीक स्थिति स्पष्ट होगी।