हिमाचल हाईकोर्ट ने एसपी बद्दी को एफआईआर दायर करने में देरी करने पर व्यक्तिगत तौर पर जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं। क्या है पूरा मामला जानें…
बद्दी में उद्योगों से निकलने वाली राख को नदी में फेंकने पर प्रदेश हाईकोर्ट सख्त हुआ है। अदालत के 12 नवंबर के आदेशों के बाद भी पुलिस विभाग ने इन उद्योगों पर एफआईआर दर्ज करने में सात दिनों की देरी की। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने एसपी बद्दी को एफआईआर दायर करे में देरी करने पर व्यक्तिगत तौर पर जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं।
अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के एक ललिता देवी वाले फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस को सूचना मिलने के तुरंत बाद एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए। इस मामले में पुलिस को हाईकोर्ट ने 12 नवंबर को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए, जबकि पुलिस ने 26 नवंबर को एफआईआर दर्ज की। अदालत ने कहा कि क्या पुलिस इस बीच गहरी नींद में सोई रही।
वहीं, प्रदूषण बोर्ड ने अदालत में हलफनामे में कहा कि विभाग ने एक और अन्य कंपनी की बिजली काट दी है, जिसने अवैध तरीके से नदी में राख डाली है। अदालत ने उद्योगों के निदेशक को व्यक्तिगत तौर पर हलफनामा दायर करने को कहा है। इसके साथ ही जिस उद्योग की बिजली काटी गई है उसने अदालत से गुहार लगाई कि बिजली को फिर से जोड़ा जाए। इस पर अदालत ने कहा कि पहले नदी को साफ करे उसके बाद ही कंपनी की अर्जी सुनी जाएगी।
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