बड़सर अस्पताल में राम भरोसे अल्ट्रासाउंड व्यवस्था, पढ़े पूरी खबर

बड़सर अस्पताल का निर्माण क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए किया गया था। 2016-17 दौरान इस अस्पताल का दर्जा बढ़ाकर इसे सिविल अस्पताल का दर्जा दिया गया और इसे 50 बिस्तर का बड़ा अस्पताल बनाया गया, सोच तो यही होगी कि क्षेत्र के लोगों को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जाएं। लेकिन जैसे जैसे किसी भी संस्था का कद बड़ा होता जाता है, तो उस संस्था की जिमेदारी भी अधिक हो जाती है। सिविल अस्पताल बड़सर में भी कुछ ऐसा होना चाहिए था , लेकिन दर्जा तो बड़ा दिया गया , पर स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर आज भी वही स्थिति है, जो काफी पहले थी। बड़सर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की मशीन तो है , लेकिन टेस्ट करने के लिए अस्पताल के पास कोई नियमित स्वास्थ्य कर्मी नहीं है।

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बड़सर सिविल अस्पताल में पुरुष स्वावस्थ्य कार्यकर्ता के 30 पद सैंक्शन हुए थे जिसमें केवल 8 पद ही भरे हैं और 22 पद अभी भी खाली हैं, बात करें पुरुष पर्यवेक्षक की तो इसके लिए 9 पद स्वीकृत हुए थे जिसमें 2 अभी तक नहीं भरे गए हैं। बात करें अगर महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता की तो 30 स्वीकृत पदों में 11 अभी तक नहीं भरे गए हैं। अधिक जानकारी के लिए आपको बता दें कि विशेषज्ञ डॉक्टर्स के 6 स्वीकृत पदों में कोई भी विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद नहीं है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण महिला रोग विशेषज्ञ का न होना है। क्षेत्रफल के आधार पर देखा जाए तो बड़सर विधानसभा एक बड़ी विधानसभा है, और यहां एक बड़ा तबका महिलाओं का रहता है, लेकिन जहां सरकार महिला सशक्तिकरण की बात जोर शोर से चलाती है, और महिलाओं को तवज्जो देने की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ बड़सर विधानसभा की महिलाओं को अपनी बीमारी का इलाज करवाने के लिए हमीरपुर का रुख करना पड़ता है। इसी के साथ अल्ट्रासाउंड जैसी महत्वपूर्ण सुविधा बड़सर अस्पताल में नाम की है , अल्ट्रासाउंड की मशीन तो है लेकिन उसे चलाने वाले स्वास्थ्य कर्मी का यहां कभी कभी ही दौरा होता है, लोगों को खासकर गर्वभती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए लम्बा इंतज़ार करना पड़ता है। अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए लोगों को या तो नजदीकी निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है या फिर हमीरपुर या ऊना का रुख करना पड़ता है। वहीं आपको बता दें की हर दिन इसी अस्पताल में लगभग 50 से 70 के बीच Xray किये जाते हैँ, लेकिन अल्ट्रासाउंड के लिये माह में केवल दो दिन निर्धारित किये गए हैँ, ऐसे में लोगों को बाहर जाकर निजी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ता है, और जो काम 100 रूपये में हो सकता है, उसके लिये उनके 500 से 700 रूपये लग जाते हैँ!
इस विषय में हमने ज़ब ब्लॉक मेडिकल अधिकारी डॉ बृजेश शर्मा से बात की तो उन्होंने बताया की, जो डॉक्टर यहां अल्ट्रासाउंड करने के लिये आते हैँ, उन्हें जिले के अन्य अस्पतालों में जाकर भी अपनी सेवाएं देनी पड़ती हैँ, और ऐसे में निर्धारित तिथि के आधार पर लोगों को अल्ट्रासाउंड के लिये बुलाया जाता है, जिसकी जानकारी उन्हें पहले दे दी जाती है!

Arvind Maurya

Arvind Maurya, a dedicated local news reporter, specializes in bringing grassroots stories to light with accuracy and passion. With a knack for uncovering community issues, Arvind Maurya ensures every voice is heard.

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