लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि बाहरी एजेंसियों द्वारा किए जा रहे कामों के लिए एक सुनियोजित प्रणाली (Mechanism) तैयार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि एनएचएआई (NHAI) और बीबीएमबी (BBMB) जैसी एजेंसियों की परियोजनाओं के अंतर्गत यदि किसी क्षेत्र में खेती करनी हो तो भी उनसे अनुमति लेनी पड़ती है। इस व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिए एक मैकेनिज्म बनाना जरूरी है। विक्रमादित्य सिंह ने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे को लेकर वह जल्द ही मुख्यमंत्री से बात करेंगे।
बुधवार को शून्यकाल में उठाया मुद्दा
बुधवार को सदन में शून्यकाल के दौरान ज्वालामुखी के कांग्रेस विधायक संजय रतन ने मटौर-शिमला फोरलेन के निर्माण में हो रही लापरवाही को लेकर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि देहरियां पंचायत से नादौन पुल तक एनएचएआई ने सड़क को 70 फुट तक खोद दिया है, जिससे गांवों के रास्ते और सड़कें पूरी तरह खराब हो गई हैं। उन्होंने कहा कि डीपीआर (DPR) बनाते समय स्थानीय लोगों और गांवों को ध्यान में रखा जाना चाहिए ताकि लोगों को आने-जाने में दिक्कत न हो।
बिलासपुर में 14 सड़कें डैमेज, 14 करोड़ रुपये की क्षति
विक्रमादित्य सिंह ने आगे बताया कि उन्होंने हाल ही में एक मामले में बिलासपुर का दौरा किया, जहां एनएचएआई ने 14 सड़कों को नुकसान पहुंचाया। इसके लिए 14 करोड़ रुपये की भरपाई की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह मामला मुख्यमंत्री के ध्यान में भी लाया जाएगा। उन्होंने बिलासपुर फ्लाईओवर का भी जिक्र किया और कहा कि वहां की स्थिति भी चिंताजनक है।
न्याय के लिए लड़ाई जारी रहेगी
मंत्री ने आगे कहा कि सड़क निर्माण और विकास कार्यों को लेकर सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट तक जाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि चाहे सुप्रीम कोर्ट जाना हो या हाईकोर्ट, हमारी लड़ाई जारी रहेगी।