मुख्य बातें
- नितिका, सिर्फ 10 माह की, अपने माता-पिता और दादी को एक हादसे में खो चुकी है।
- प्रदेश भर से 200 से अधिक लोग नितिका को गोद लेने के लिए आवेदन कर चुके हैं।
- परिवार ने फिलहाल बच्ची को किसी को देने से इनकार किया है—नितिका अपनी बुआ किरणा देवी के पास रह रही है।
- कई दानदाता नितिका की पढ़ाई और भरण-पोषण के लिए मदद को आगे आए हैं।
खबर विस्तार से
गोहर (हिमाचल): महज 10 माह की उम्र में नितिका पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, जब जून के अंत और जुलाई की शुरुआत में हुए हादसे में उसके माता-पिता और दादी का निधन हो गया। सराज क्षेत्र के शिकावरी गांव में रहने वाली नितिका अब अपनी बुआ किरणा देवी की देखरेख में है।

यह दुखद घटना सामने आने के बाद हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों से हर रोज तीन से चार परिवार नितिका को गोद लेने के लिए अपनी इच्छा व्यक्त कर रहे हैं। 21 जुलाई तक ऐसे आवेदकों की संख्या 200 के पार पहुंच गई थी। कुछ लोग सीधे परिवार और कुछ प्रशासन से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन परिजन बच्ची को सौंपने के लिए फिलहाल तैयार नहीं हैं।
दानदाताओं की बढ़ती कतार
शिमला जिला के एक सज्जन और एक सैनिक स्कूल ने नितिका की चौथी कक्षा के बाद की पूरी पढ़ाई का खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली है।
सुनील गोसाइक (सिरमौर के बांदल गांव से) हर महीने नितिका के बैंक खाते में ₹1,000 जमा करने का वादा कर चुके हैं, जब तक वह 18 साल की नहीं हो जाती।
20 जुलाई तक रिश्तेदारों एवं अन्य लोगों ने नितिका की मदद के लिए करीब ₹1,88,000 की नकदी दी है, जिसे उसके बैंक अकाउंट में जमा कराया जाएगा।
प्रशासन की मदद
प्रशासन द्वारा माता-पिता की बीमा/क्लेम राशि का एफडीआर नितिका के नाम बनाया जाएगा, जो 18 साल की आयु पूरी होने पर उसे ब्याज समेत मिल जाएगी। यह जानकारी एसडीएम गोहर विचित्र सिंह ठाकुर ने दी।
निष्कर्ष
यह घटना हिमाचल प्रदेश में संवेदनशीलता, समाज की एकजुटता और मानवीय सहयोग का उदाहरण बनकर सामने आई है। नितिका के भविष्य को संवारने के लिए समाज, प्रशासन एवं शिक्षा संगठनों ने जिस तरह मदद का हाथ बढ़ाया है, वह सराहनीय है।