बड़सर उपमंडल में स्थित एक मात्र सिविल अस्पताल में इन दिनों स्वास्थ्य सुविधायें चरमरा चुकी हैँ, अव्वल तो अस्पताल में कोई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है, और केवल MBBS डॉक्टरों के सहारे अस्पताल चलाया जा रहा है, वहीं अल्ट्रासाउंड टेस्ट करने के लिये महीने में दो दिन निर्धारित किये गए हैँ, जिसमें अन्य जगह से डॉक्टर आकर बड़सर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड टेस्ट करते हैँ, आज 13 तारीख़ को भी अल्ट्रासाउंड टेस्ट की डेट रखी गयी थी, ऐसे में लोग सुबह 10 बजे ही भूखे पेट अपनी बारी के इंतज़ार में बैठ गए, लेकिन हमारी लाइव पड़ताल में हमने पाया की कई बुजुर्ग, महिलाएं, पुरुष और बच्चे जो अस्पताल में अल्ट्रासाउंड टेस्ट करवाने आये थे, उनके बैठने के लिये कोई व्यवस्था अस्पताल प्रशासन की और से नहीं की गयी थी, ऐसे में लोगों को अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर कई घंटे चिलचिलाती धूप में जमीन पर नीचे बैठकर अपनी बारी का इंतज़ार करना पढ़ा, एक 85 वर्ष के बुजुर्ग तक के लिये भी बैठने की सुविधा उपलब्ध नहीं थी, लोगों से बात करने पर लोग प्रशासन की व्यवस्था से निराश नजर आये! वहीं लगातार इस अस्पताल को 100 बेड बनाने की बात कही जाती रही है, और इसे अव्वल बनाने की बात कही जाती है, लेकिन मरीजों के बैठने के लिये इस अस्पताल में व्यवस्था धुंधली दिखती है!
इस विषय में ज़ब हमने ब्लॉक मेडिकल अधिकारी बृजेश शर्मा से बात की तो उन्होंने कहा की अगली बार ज़ब भी अल्ट्रासाउंड के टेस्ट होंगे तो लोगों के बैठने के लिये उचित प्रबंध कर दिया जायेगा, और लोगों को किस तरह लाइन में बुलाया जाये, इसका भी तरीका निकाला जायेगा, ताकि किसी तरह की मुश्किल का सामना मरीजों को न करना पड़े!
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