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निर्वासित तिब्बती संसद का चीनी दमन के खिलाफ एकजुटता प्रस्ताव, मांगा आजादी से जीने का अधिकार


तिब्बतियों के लिए मजबूती से समर्थन और एकजुटता व्यक्त की गई है। इस प्रस्ताव में तिब्बतियों के मौलिक मानवाधिकारों, धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए चल रहे संघर्ष पर जोर दिया गया है। 


निर्वासित तिब्बती संसद ने चीनी दमन के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है। तिब्बतियों के लिए मजबूती से समर्थन और एकजुटता व्यक्त की गई है। इस प्रस्ताव में तिब्बतियों के मौलिक मानवाधिकारों, धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए चल रहे संघर्ष पर जोर दिया गया है। 

प्रस्ताव की शुरुआत तिब्बत की स्वतंत्रता और सांस्कृतिक पहचान के लिए अपने जीवन और कल्याण का बलिदान देने वाले तिब्बतियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसमें उन तिब्बतियों की बहादुरी और अदम्य साहस को सराहा गया, जो चीन की कठोर नीतियों का विरोध कर रहे हैं, भले ही उन्हें अवैध हत्या, मनमानी गिरफ्तारियों और जबरन गायब किए जाने का सामना करना पड़ा हो। 

पंचेन लामा व कैदियों की रिहाई की मांग
तिब्बती संसद ने 1995 से हिरासत में रखे गए 11वें पंचेन लामा गेदुन चोकेई न्यीमा और सभी तिब्बती राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग की और उनके साथ किए गए बर्ताव के लिए जवाबदेही की मांग की गई।

चीनी संस्कृति अपनाने को मजबूर करने का विरोध
प्रस्ताव में  तिब्बती बच्चों को चीनी संस्कृति अपनाने के लिए मजबूर करने वाली चीन की सिनिसाइजेशन यानी चीनीकरण की नीतियों की कड़ी आलोचना की गई है। इसमें खास तौर से चीन के चलाए जा रहे आवासीय स्कूलों का  जिक्र किया गया है। औपनिवेशिक शैली के ये स्कूल बच्चों को उनके परिवारों, समुदायों और सांस्कृतिक विरासत से अलग करते हैं। ये एक तरह से सांस्कृतिक नरसंहार करते हैं। प्रस्ताव में इन दमनकारी नीतियों को तुरंत रोकने और तिब्बतियों को उनकी धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक पहचान के साथ जीने की आजादी और हक दिए जाने की मांग की गई।

भविष्य के परिणामों के लिए चीन होगा जवाबदेह
तिब्बत की ऐतिहासिक संप्रभुता की पुष्टि करते हुए प्रस्ताव  में तिब्बत पर चीन के दावे को चुनौती दी गई और चीन के तिब्बत पर दावे को खारिज किया गया और कहा गया कि तिब्बत कभी भी चीन का हिस्सा नहीं रहा। निर्वासित तिब्बती संसद मध्य मार्ग नीति के लिए अपने वादे पर अडिग रही और चीन-तिब्बत संघर्ष को हल करने के लिए शांतिपूर्ण बातचीत की वकालत की। हालांकि, प्रस्ताव में यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि चीन सार्थक बातचीत में शामिल होने से इंकार करता है तो भविष्य के परिणामों के लिए वह जिम्मेदार होगा।

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समर्थन के लिए भारत का भी जताया आभार
प्रस्ताव में तिब्बतियों के साथ एकजुटता और समर्थन के लिए भारत, अमेरिका और अन्य वैश्विक समर्थकों के लिए गहरा आभार जताया गया है। आखिर में प्रस्ताव में निर्वासन में रहने वाले तिब्बतियों से आग्रह किया गया कि वे अपने-अपने देशों में तिब्बत के अधिकारों और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए काम करते रहें। 

Arvind Maurya

Arvind Maurya, a dedicated local news reporter, specializes in bringing grassroots stories to light with accuracy and passion. With a knack for uncovering community issues, Arvind Maurya ensures every voice is heard.

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