दियोटसिद्ध मंदिर में 9 नवंबर को हुई बकरा नीलामी को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। मामले में मंदिर अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है, और अब विजिलेंस ने भी इस प्रकरण पर प्रशासन से पूरा रिकॉर्ड माँगा है। यह मामला तब तूल पकड़ा जब नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता पर सवाल उठाए गए और इसे लेकर लोगों में रोष देखा गया।
कारण बताओ नोटिस में उठाए गए सवाल
मंदिर प्रशासन की ओर से बकरा नीलामी के लिए गठित उपसमिति के सभी सदस्यों को एक ही दिन अवकाश पर भेजा गया था। नोटिस में पूछा गया है कि ऐसा निर्णय क्यों लिया गया, जबकि यह उपसमिति नीलामी प्रक्रिया को नियमित रूप से संचालित करती है। समिति के अधिकारी और कर्मचारी, जिन पर इस प्रक्रिया को व्यवस्थित रूप से पूरा करने की जिम्मेदारी थी, उनके एक साथ अवकाश पर होने से कई अनियमितताएँ सामने आईं।
कनिष्ठ सहायक निलंबित, अब अधिकारी पर कार्रवाई की तैयारी
बकरा नीलामी की अगुवाई करने वाले कनिष्ठ सहायक को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। यह निर्णय नीलामी प्रक्रिया में अनियमितताओं और पारदर्शिता की कमी को देखते हुए लिया गया। अब मंदिर अधिकारी से भी इस मामले पर जवाब तलब किया गया है। माना जा रहा है कि अगर अधिकारी का जवाब संतोषजनक नहीं हुआ, तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो सकती है।
विजिलेंस ने माँगा पूरा रिकॉर्ड
इस मामले में विजिलेंस विभाग ने भी संज्ञान लेते हुए प्रशासन से पूरी प्रक्रिया का रिकॉर्ड तलब किया है। विजिलेंस अब यह जांच करेगी कि नीलामी में किसी प्रकार की वित्तीय अनियमितता तो नहीं हुई और उपसमिति के सदस्यों की अनुपस्थिति के पीछे कोई साजिश तो नहीं थी।
स्थानीय लोगों की नाराजगी
स्थानीय लोगों ने इस प्रकरण को लेकर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। लोगों का कहना है कि मंदिर प्रशासन की नीलामी प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए, लेकिन इस बार कई गड़बड़ियों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आगे की कार्रवाई पर नजरें
मंदिर प्रशासन से संबंधित इस प्रकरण पर विजिलेंस और उच्च अधिकारी जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंप सकते हैं। इस विवाद ने न केवल मंदिर प्रशासन की छवि को प्रभावित किया है, बल्कि पारदर्शिता और जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़े किए हैं। अब देखना यह है कि जवाब तलब के बाद क्या कार्रवाई की जाती है और विवाद को शांत करने के लिए प्रशासन क्या कदम उठाता है।