सराज के अराध्य देवता मूल खुडीजल शिवरात्रि मेले के लिए रवाना, श्रद्धालुओं द्वारा भव्य स्वागत
थुनाग (मंडी)। सराज क्षेत्र के अराध्य देवता मूल खुडीजल शिवरात्रि मेले के लिए मंगलवार को अपने निवास स्थान खुड़ी गाड़ से पैदल यात्रा पर रवाना हुए। देवता अपने छह गढ़ के कार कारिंदों और श्रद्धालुओं के साथ मंडी शिवरात्रि मेला में शामिल होने के लिए निकले हैं। यह धार्मिक यात्रा क्षेत्रीय संस्कृति और आस्थाओं का प्रतीक मानी जाती है, और इस यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है।
मंडी शिवरात्रि मेला 2025 में भाग लेने के लिए देवता की यह पैदल यात्रा मंगलवार को शुरू हुई और बुधवार को जंजैहली, लंबाथाच और थुनाग में भक्तों ने उनका भव्य स्वागत किया। हर स्थान पर देवता के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए, और धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया। इस यात्रा में देवता के साथ उनके पुजारी गोविंद, कमेटी के कारदार शोभाराम और गुरु दिलेराम भी शामिल हैं।
पैदल यात्रा की योजना और विश्राम स्थल
पुजारी गोविंद ने बताया कि यह पैदल यात्रा कुल 118 किलोमीटर लंबी होगी, और देवता 26 फरवरी तक मंडी पहुंचेंगे। यात्रा के दौरान 20 फरवरी को कांढा, 21 फरवरी को गोहर, 22 फरवरी को चैलचौक, 23 फरवरी को नैरचौक, 24 फरवरी को गागल और 25 फरवरी को बैहना में रात्रि विश्राम किया जाएगा।
वर्ष 2025 में देवता की यात्रा का महत्व
यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था और परंपराओं का पालन करती है, बल्कि क्षेत्रीय एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित करती है। शिवरात्रि का यह मेला क्षेत्र के लिए विशेष महत्व रखता है, और इसे लेकर हर वर्ष श्रद्धालु अपनी श्रद्धा और विश्वास से जुड़े रहते हैं। इस यात्रा को लेकर इलाके के लोग अपने परंपरागत रीति-रिवाजों और उत्सवों में पूरी तरह से सहभागी बनते हैं, जिससे एकजुटता और सामूहिक धार्मिक भावना का संचार होता है।
देवता की यात्रा और क्षेत्रीय पर्यटन का प्रभाव
इस धार्मिक यात्रा का क्षेत्रीय पर्यटन पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। श्रद्धालुओं और पर्यटकों के बढ़ते आगमन से स्थानीय व्यापार और अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिलता है। यात्रा के मार्ग पर स्थित विभिन्न गांवों में यात्रियों के स्वागत के लिए तैयारियों का जोर शोर से आयोजन किया जाता है, जिससे स्थानीय संस्कृति और मेहमाननवाजी को बढ़ावा मिलता है।
शिवरात्रि मेले के लिए यह यात्रा एक अद्भुत धार्मिक अनुभव है, और हर साल लाखों श्रद्धालु देवता के दर्शन के लिए आते हैं। 2025 में इस यात्रा का महत्व और भी बढ़ जाता है, और यह क्षेत्र के विकास के साथ-साथ आस्थाओं और परंपराओं को भी मजबूत बनाती है।