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54 साल में हिमाचल प्रदेश की विकास यात्रा: पहाड़ी राज्यों के लिए बना आदर्श उदाहरण

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Himachal Statehood Day: हिमाचल प्रदेश आज 55वां पूर्ण राज्यत्व दिवस मना रहा है। इस सफर में प्रदेश ने कई चुनौतियों को पार करने के साथ अहम उपलब्धियां हासिल की हैं। साक्षरता दर 31.96 फीसदी से बढ़कर 82 प्रतिशत पहुंच गई है। वहीं प्रति व्यक्ति आय 651 रुपये से बढ़कर 2.35 लाख रुपये हो गई है। इस समय हिमाचल पहाड़ी राज्यों के लिए मिसाल है।विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले हिमाचल प्रदेश के नाम आज कई बड़ी-बड़ी उपलब्धियां दर्ज हैं। 25 जनवरी 1971 को हिमाचल पूर्ण राज्य के तौर पर अस्तित्व में आने के बाद से देश के पहाड़ी राज्यों के लिए मिसाल बन गया है। बीते 54 साल में प्रदेश ने कड़े संघर्ष करते हुए कई पायदान चढ़े हैं। 25 जनवरी 1971 को बर्फबारी के बीच प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रिज मैदान से हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की घोषणा की थी। बीते 54 साल में हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या 70 लाख से ज्यादा हो गई है। प्रति व्यक्ति आय 2.35 लाख रुपये हो गई है। 1971 में प्रदेश की जनसंख्या 9 लाख 83 हजार 367 थी। प्रदेश की कुल साक्षरता दर अब 82 फीसदी पहुंच गई है। देश का 18वां राज्य हिमाचल प्रदेश शनिवार को 55वें साल में प्रवेश करेगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में जिला कांगड़ा के बैजनाथ में पूर्ण राज्यत्व दिवस का समारोह मनाया जाएगा।

हिमाचल प्रदेश का पांच दशक से ज्यादा का यह सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा। प्रदेश ने अपनी विकास यात्रा शून्य से शुरू की और 54 साल में जो विकास किया, वह अन्य पहाड़ी राज्यों के लिए मिसाल बन गया है। पहाड़ों से बहने वाले पानी को राज्य के मेहनती लोगों ने अपने पसीने से सोने में बदल दिया है। सीमित संसाधनों और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद प्रदेश ने सभी क्षेत्रों, विशेष तौर पर कृषि, बागवानी, ग्रामीण विकास, सामाजिक कल्याण, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, पेयजल, उद्योग और पर्यटन में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

राज्य की अर्थव्यवस्था का रुझान कृषि क्षेत्र से उद्योगों और सेवा क्षेत्रों की ओर बढ़ रहा है। कुल सकल राज्य घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 1950-51 में 57.9 प्रतिशत से घटकर 1967-68 में 55.5 प्रतिशत, 1990-91 में 26.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022-23 में 9.45 प्रतिशत हो गया है। हिमाचल में एम्स, आईआईएम, आईआईटी, ट्रिप्पल आईटी, हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज सहित छह मेडिकल कॉलेज हैं। सरकारी क्षेत्र में शिक्षण संस्थानों की कुल संख्या 16 हजार से अधिक है। कुल सड़कों की लंबाई 42,561 किलोमीटर पहुंच गई है। प्रदेश में तीन हवाई अड्डे यात्रियों के सफर को सुगम बना रहे हैं। रेलवे नेटवर्क भी प्रदेश में बढ़ रहा है।

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बर्फबारी के बीच पहुंचीं इंदिरा, रिज पर डाली नाटी
25 जनवरी 1971 को वह ऐतिहासिक दिन था, जब देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य बनाने की घोषणा की थी। उस वक्त रिज मैदान पर बर्फबारी हो रही थी। शिमला के ऐतिहासिक टका बेंच से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य बनाने की घोषणा की थी। इंदिरा गांधी ने स्थानीय महिलाओं के साथ नाटी भी डाली थी। इससे पहले इंदिरा गांधी खुली जीप में रोड शो करते हुए रिज मैदान पर पहुंची थीं।

आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की सक्रियता ज्यादा, बेरोजगारी दर भी कम
प्रदेश में 54.8 प्रतिशत महिलाएं पड़ोसी राज्यों व अखिल भारतीय स्तर की तुलना में आर्थिक गतिविधियों में अधिक सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। पड़ोसी राज्यों में सभी उम्र के व्यक्तियों के लिए सामान्य स्थिति के अंतर्गत बेरोजगारी से पता चलता है कि हिमाचल में बेरोजगारी दर सबसे कम 4.4 प्रतिशत है, जबकि उत्तराखंड में 4.5 प्रतिशत, पंजाब और हरियाणा में यह 6.1 प्रतिशत रही।

डॉ. यशवंत सिंह परमार बने थे हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री
मार्च 1952 में डॉ. वाईएस परमार ने हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। जुलाई 1954 में बिलासपुर को हिमाचल में मिलाया गया। साल स्टेट्स रिआर्गेनाइजेशन एक्ट लागू होने के बाद 31 अक्तूबर 1956 को प्रदेश विधानसभा समाप्त करके टेरिटोरियल काउंसिल बना दी गई। पहली नवंबर 1956 को हिमाचल प्रदेश केंद्र शासित राज्य बना। 1963 में प्रदेश विधानसभा में परिवर्तित किया गया। 1970 में संसद ने स्टेट ऑफ हिमाचल प्रदेश एक्ट-1970 पास किया। 25 जनवरी 1971 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने स्वयं शिमला आकर हिमाचल को पूर्ण राज्य प्रदान करने की घोषणा की।

स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ीं, एम्स के साथ सूबे में ही छह मेडिकल कॉलेज भी खुले
पूर्ण राज्य बनने के बाद हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हुई हैं। छह मेडिकल कॉलेज हैं। एम्स भी बिलासपुर में खुल चुका है। हालांकि इन मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में आधारभूत ढांचे की कमी है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की भी कमी है। इसके कारण प्रदेश के वीआईपी तो यहां के चिकित्सा संस्थानों में इलाज करवाने से कतराते रहे हैं।

चुनौती : केंद्र की बैसाखी पर टिका हिमाचल का विकास
हिमाचल प्रदेश के लिए केंद्र की बैसाखी छोड़कर अपने पैरों पर चलना आज भी चुनौती बना हुआ है। जीएसटी में हिस्सेदारी घटने और राजस्व घाटा अनुदान में कटौती होते रहने से सरकार के सामने गंभीर वित्तीय चुनौतियां खड़ी हैं। छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद कर्मचारियों को वेतन भुगतान करने के लिए सरकार को मासिक करीब दो हजार करोड़ रुपये चाहिए। स्वावलंबन की ओर आगे बढ़ने के लिए सरकार ने जोर लगाया हुआ है।

हिमाचल की सुंदरता को 54 साल में दुनिया को नहीं दिखा सके : शांता
हिमाचल के पूर्ण राज्यत्व दिवस पर पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि प्रदेश का सफर शानदार रहा है। इसमें हर दल और हर मुख्यमंत्री ने अपना सहयोग दिया है। लेकिन मलाल इस बात है कि हिमाचल को जो मिलना चाहिए था, वह अभी तक नहीं मिल पाया है। यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, जो अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई हैं। हिमाचल किसी भी प्रकार से स्विट्जरलैंड से कम नहीं है। लेकिन, दुनिया को इसका असली रूप दिखाने में अभी हम बहुत पीछे हैं। हिमाचल में पर्यटन और रायल्टी के लिए पन बिजली जैसे उद्योग होने चाहिए। पालमपुर में एक रोपवे की नींव रखी थी, जो अभी तक पूरी नहीं हो सकी। यह रोप वन जाता तो पर्यटक दस मिनट के अंदर बर्फ में पहुंच जाता, जो एक बहुत बड़ा रोजगार और आर्थिकी का साधन बन पाता। हिमाचल के सभी नेताओं को पर्यटन के ऊपर सोचना चाहिए, जो हिमाचल को मजबूत राज्य बना सकता है।

प्रदेश के संसाधन जुटाना ही सबसे बड़ी चुनौती : धूमल
पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा है कि प्रदेश विकास के कई मामले में पहाड़ी राज्यों के लिए मॉडल बनकर विकसित हुआ है। लेकिन किन्ही कारणों से कुछ वर्षों से विकास की गति उम्मीदों के मुताबिक नहीं रही है। और संसाधन जुटाने की चुनौती है। प्रदेशवासियों को मिलकर संकल्प लेना होगा कि भौगोलिक तौर पर सुंदर प्रदेश को विकास के माध्यम से देश का सबसे ऊंचा प्रदेश बनाएंगे। बुनियादी ढांचा, पर्यटन, शिक्षा का स्तर, स्वास्थ्य सुविधाओं और मलभूत सुविधाएं उपलब्ध करना, रेल नेटवर्क, हवाई नेटवर्क को बढ़ाना और प्रदेश की जीवनरेखा सड़कों को और अधिक बेहतर और सुरक्षित बनाना होगा।

इन उपलब्धियों पर हिमाचल को नाज

  1. 2009 में प्लास्टिक और पॉलिथीन कैरी बैग पर बैन लगाने वाला देश का पहला राज्य।
  2. ई-विधानसभा वाला देश का पहला राज्य।
  3. ई-कैबिनेट और ई-बजट पेश करने वाला पहला राज्य।
  4. देश का पहला धुआं मुक्त राज्य, हर घर में गैस चूल्हा उपलब्ध।
  5. आठ साल पहले देश का पहला ओडीएफ स्टेट घोषित।
  6. ग्रीन कवर बढ़ाकर कार्बन क्रेडिट हासिल करने वाला एशिया का पहला राज्य।
  7. शीत मरुस्थल लाहौल-स्पीति में नल से जल पहुंचाया, हर घर को नल से जल देने वाला देश का पहला राज्य।
  8. बर्फानी तेंदुए का अध्ययन करने वाला देश का पहला राज्य।
  9. एशिया का सबसे बड़ा फार्मा हब, सालाना 45 हजार करोड़ रुपए का दवा उत्पादन।
  10. युवा मतदाताओं के पंजीकरण में देश भर में अव्वल।
  11. धर्मांतरण कानून सबसे पहले हिमाचल में लाया गया।
  12. वीरभद्र सिंह ने 2006 में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ देश में पहली बार लाया बिल।
  13. हिमाचल के गठन के समय महज 228 किलोमीटर सड़कें थीं, अब सड़कों की लंबाई 42,561 किलोमीटर हो गई है।
  14. करगिल युद्ध में हिमाचल के दो सपूतों कैप्टन विक्रम बत्रा (सर्वोच्च बलिदान उपरांत) व सिपाही संजय कुमार (अब सूबेदार मेजर) को परमवीर चक्र हासिल हुआ।
  15. चीन के साथ युद्ध में अदम्य साहस के लिए मेजर धनसिंह थापा को परमवीर चक्र मिला।
  16. हिमाचल के डॉक्टर भारत के प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थानों की संभाल चुके हैं कमान। डॉ. रणदीप गुलेरिया, डॉ. जगतराम, डॉ. टीएस महंत, डॉ. राजबहादुर प्रमुख।
  17. युवा डॉक्टर अरुण शर्मा सीवीआर एंड ईआई में सुपर स्पेशलाइजेशन (डीएम) डिग्री पाने वाले भारत के पहले डॉक्टर।
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