हिमाचल प्रदेश में संस्कृत शिक्षक बनने के लिए अब बीएड अनिवार्य, भर्ती एवं पदोन्नति नियम जारी

 प्रदेश में टीजीटी संस्कृत बनने के लिए अब बीएड अनिवार्य कर दी गई है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने टीजीटी संस्कृत के भर्ती एवं पदोन्नति नियम जारी कर दिए हैं। 

हिमाचल में संस्कृत शिक्षक बनने के लिए अब बीएड करना अनिवार्य कर दिया गया है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने टीजीटी संस्कृत के भर्ती एवं पदोन्नति नियम जारी कर दिए हैं। संस्कृत विषय के साथ बीए और एमए करने वाले भी अब शास्त्री शिक्षक बन सकेंगे। शास्त्री में 50 फीसदी अंक नहीं हैं तो एमए के अंकों के आधार पर नौकरी मिल जाएगी। 2011 से पहले बीएड में दाखिला लेने वालों के लिए न्यूनतम अंकों की शर्त में भी छूट दे दी गई है। शिक्षा सचिव राकेश कंवर की ओर से वीरवार को लोकसेवा आयोग से परामर्श के बाद प्रशिक्षित स्नातक अध्यापक संस्कृत के लिए भर्ती एवं पदोन्नति नियम अधिसूचित किए गए हैं।

टीजीटी संस्कृत के पदों पर लोकसेवा या चयन आयोग के माध्यम से सीधी भर्तियां की जाएंगी। बैचवाइज भर्तियों के लिए डिग्री प्राप्त करने की वरिष्ठता के आधार पर मेरिट बनाई जाएगी। पहली नियुक्ति अनुबंध आधार पर होगी। शिक्षकों को 21,360 रुपये का वेतन मिलेगा। सरकारी स्कूलों में टीजीटी संस्कृत का कैडर 4,321 है। 18 से 45 वर्ष की आयु वाले इन पदों पर होने वाली भर्ती के लिए पात्र होंगे। शास्त्री या संस्कृत के एक अनिवार्य विषय के साथ स्नातक और प्रारंभिक शिक्षा में दो वर्ष का डिप्लोमा चाहिए।

किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक, स्नातकोत्तर, आचार्य में कम से कम 50 फीसदी अंकों के साथ शास्त्री या संस्कृत के एक अनिवार्य विषय के साथ स्नातक, संस्कृत में स्नातकोत्तर, आचार्य और बीएड होनी चाहिए। कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ सीनियर सेकेंडरी और संस्कृत के एक अनिवार्य विषय के साथ प्रारंभिक शिक्षा में चार साल का बैचलर ऑफ एलीमेंट्री एजुकेशन (बीएलएड) करने वाले भी पात्र होंगे। वहीं, एनसीटीई से मान्यता प्राप्त किसी संस्थान से संस्कृत में एक अनिवार्य विषय सहित चार वर्षीय कला शिक्षा स्नातक या विज्ञान शिक्षा स्नातक भी भर्ती के लिए पात्र होंगे। स्कूल शिक्षा बोर्ड से टेट पास अभ्यर्थियों को भर्ती में शामिल किया जाएगा। स्नातक में अंकों का न्यूनतम प्रतिशत उन पर लागू नहीं होगा, जिन्होंने 29 जुलाई 2011 से पहले ही बीएड या प्रारंभिक शिक्षा स्नातक में प्रवेश लिया था।

पदोन्नति के लिए देखी जाएंगी दूरदराज, दुर्गम क्षेत्रों की सेवाएं
पदोन्नति करने के लिए शिक्षकों की ओर से दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में दी गईं सेवाओं को देखा जाएगा। जिन शिक्षकों ने ऐसे क्षेत्रों में सेवाएं नहीं दी होंगी, उन्हें उनकी वरिष्ठता के अनुसार ऐसे स्थानों पर स्थानांतरित किया जाएगा।

एसएमसी शिक्षकों के लिए एलडीआर कोटा तय
सरकार ने एसएमसी शिक्षकों को नियमित करने के लिए टीजीटी के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में बदलाव कर दिया है। इसके तहत स्कूल प्रबंधन समिति के माध्यम से रखे गए इन शिक्षकों को लिमिटेड डायरेक्ट रिक्रूटमेंट (एलडीआर) कोटा दिया जाएगा। प्रदेश के स्कूलों में वर्तमान में 2,408 शिक्षक एसएमसी आधार पर कार्यरत हैं, जिन्हें एक पात्रता के आधार पर नियमित होने का मौका एलडीआर कोटा तय होने से मिलेगा। नए नियमों के अनुसार टीजीटी के भर्ती कोटा में बदलाव किया है। इसमें 37.5 फीसदी कोटा सीधी भर्ती का राज्य चयन आयोग के माध्यम से होगा।

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इसी तरह 32.5 फीसदी कोटा बैचवाइज के लिए और 0.5 फीसदी कोटा एलडीआर का होगा जो एसएमसी शिक्षकों को दिया जाएगा। पदोन्नति के लिए 25 फीसदी कोटे में कोई बदलाव नहीं किया है। टीजीटी के नए नियमों में अब स्नातकोत्तर डिग्री के अंक भी पात्रता दिला सकते हैं। यदि किसी अभ्यर्थी को स्नातक में पूरे अंक नहीं हैं, तो वह स्नातकोत्तर के आधार पर आवेदन कर सकता है। शिक्षा सचिव राकेश कंवर की ओर से यह अधिसूचना जारी की गई है।

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