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ढोल-नगाड़ों की गूंज के साथ भूंडा महायज्ञ का शुभारंभ, नाचते-गाते देवताओं संग पहुंचे देवलू

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Bhunda Maha Yagya 2024: चार दशक बाद शुरू हुआ ऐतिहासिक महायज्ञ, देवताओं और देवलुओं की उमड़ी भीड़

Bhunda Maha Yagya 2024 वीरवार को कुल्लू की स्पैल वैली में देवता बकरालू के मंदिर से शुरू हो गया। ऐतिहासिक महायज्ञ के दौरान ढोल, नगाड़ों और रणसिंगों की गूंज के बीच देवताओं और देवलुओं ने नृत्य करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की। इस महायज्ञ को चार दशक बाद आयोजित किया जा रहा है, जिसमें करीब एक लाख लोगों की भीड़ जुटने की उम्मीद है।

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मुख्य रस्में और कार्यक्रम:

  • वीरवार: महायज्ञ का शुभारंभ, देवताओं और देवलुओं का आगमन।
  • शुक्रवार: शिखा पूजन और फेर रस्म का आयोजन।
  • शनिवार: महायज्ञ की मुख्य रस्म “बेड़ा” निभाई जाएगी। इस रस्म में सूरत राम मूंजी (घास) की रस्सी पर लकड़ी की काठी के सहारे फिसलकर रस्म पूरी करेंगे।

भूंडा महायज्ञ का महत्व:
भूंडा महायज्ञ का आयोजन देवता बकरालू महाराज के इतिहास में पहली बार चार दशक बाद हो रहा है। इससे पहले इस महायज्ञ का आयोजन 70-80 साल के अंतराल में होता था। इस आयोजन में देवताओं का मिलन और पारंपरिक रस्में विशेष आकर्षण का केंद्र रहती हैं।

मुख्यमंत्री और गणमान्य अतिथि:
शुक्रवार को शिखा पूजन और फेर रस्म के दौरान हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी उपस्थित रहेंगे।

देवताओं और देवलुओं का उत्साह:
दलगांव में देवताओं के जयकारों के साथ पहुंचे देवलुओं ने पारंपरिक वेशभूषा में ढोल-नगाड़ों की धुन पर नृत्य किया। तलवारें और डंडे लेकर पहुंचे देवलू अपने-अपने देवताओं की पालकी के साथ शामिल हुए। पटाखों और जयकारों के बीच महायज्ञ का माहौल अद्भुत रहा।

रातभर नाटियों का दौर:
दलगांव में लगाए गए तंबुओं के बाहर रातभर नाटियों (पारंपरिक नृत्य) का आयोजन हुआ। ठंड की परवाह किए बिना देवलू झूमते रहे। महायज्ञ के दौरान देवताओं और देवलुओं के लिए लंगर और ठहरने की विशेष व्यवस्था की गई है।

सुरक्षा व्यवस्था:
महायज्ञ के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है। हर जगह विशेष निगरानी रखी जा रही है।

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