हमीरपुर। सीएम सुक्खू के गृह जिला में नवगठित नगर निगम की राजपत्र में घोषणा के दूसरे दिन ही सियासी उठापटक देखने को मिली है। यहां पर कांग्रेस से जिला के सबसे बड़े नगर निकाय की सरदारी छिन्न गई है।
कांग्रेस समर्थित नगर परिषद हमीरपुर के अध्यक्ष मनोज कुमार मिन्हास के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में 11 में से सात पार्षदों ने वोट किया है। मनोज मिन्हास के समर्थन में चार वोट प्राप्त हुए हैं। एसडीएम हमीरपुर संजीत सिंह ने चुनाव अधिकारी की भूमिका अदा की। भाजपा विधायक हमीरपुर आशीष शर्मा भी माैके पर मौजूद रहे।
नगर परिषद हमीरपुर के कार्यालय में वीरवार को चार बजे अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक शुरू हुई। सभी पार्षद बैठक में पहुंच गए। अध्यक्ष मनोज सबसे अंत में बैठक में पहुंचे और उन्होंने प्रस्ताव पर चर्चा से पहले एसडीएम को अपना त्यागपत्र सौंपा, लेकिन सभी पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग की मांग की। साल 2021 में 11 वार्ड वाली नगर परिषद हमीरपुर में नौ भाजपा, जबकि दो कांग्रेस समर्थित पार्षद जीत कर आए थे।
इस दौरान प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। हमीरपुर विस क्षेत्र के तत्तकालीन भाजपा विधायक नरेंद्र ठाकुर के समर्थन से वार्ड नंबर सात से भाजपा समर्थित मनोज कुमार मिन्हास को अध्यक्ष पर पर काबिज किया गया।
2022 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ। वर्ष 2023 में 11 में से 10 पार्षदों ने अध्यक्ष मनोज के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया। इस प्रस्ताव के बीच अपनी कुर्सी को बचाने के लिए मनोज ने विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस का दामन थाम लिया।
आचार संहिता के चलते अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हुई। आचार संहिता हटने के बाद अविश्वास प्रस्ताव को लेकर पार्षदों के दो प्रतिनिधिमंडल डीसी हमीरपुर अमरजीत सिंह से एक ही दिन में मिले। एक प्रतिनिधिमंडल ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की मांग की, जबकि दूसरे ने वापस लेने की। जब प्रशासन ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए बैठक नहीं बुलाई तो भाजपा समर्थित पार्षदों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
हाईकोर्ट के निर्णय के बाद प्रशासन ने वीरवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा बुलाई और आखिरकार वोटिंग के माध्यम से हुए फैसले से कांग्रेस से जिले के सबसे बड़े नगर निकाय की सरदारी छिन्न गई है।
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