‘सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक 2024’ पर विवाद: कर्मचारी संगठनों ने जताई नाराजगी, सरकार से वार्ता की मांग
सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तों को लेकर नया विधेयक 2024 विवादों में घिर गया है। प्रदेश सरकार द्वारा विधानसभा में पारित इस विधेयक पर कर्मचारियों ने गहरी नाराजगी व्यक्त की है। संगठनों का कहना है कि इस विधेयक की आवश्यकता ही नहीं थी, और इसे लागू करने से पहले कर्मचारियों से बातचीत करना जरूरी है।
कर्मचारी संगठनों की मांग: कर्मचारियों के हितों की हो रक्षा
अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष त्रिलोक ठाकुर ने विधेयक में कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने की बात कही है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि कोई भी ऐसा प्रावधान न हो जो कर्मचारियों की सेवा और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाए। महासंघ ने कहा कि विधेयक में कर्मचारियों के सुझावों को शामिल किया जाए और इसे पारदर्शी व निष्पक्ष बनाया जाए।
संघ के सुझाव:
- पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया: भर्तियां लोक सेवा आयोग और चयन बोर्ड के माध्यम से हों।
- अनुबंध प्रणाली का अंत: अस्थायी नौकरियों और अनुबंध प्रणाली को खत्म किया जाए।
- प्रोमोशन और रिटायरमेंट लाभ में सुधार: कर्मचारियों के लिए बेहतर सुविधाओं को सुनिश्चित किया जाए।
कॉलेज शिक्षकों का विरोध:
हिमाचल प्रदेश राजकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ (एचजीसीटीए) के आह्वान पर राज्यभर के 141 कॉलेजों के शिक्षकों ने काले बिल्ले लगाकर इस विधेयक का विरोध किया। एचजीसीटीए के महासचिव डॉ. संजय कानूनगो ने कहा कि यह विधेयक कर्मचारियों के हितों के खिलाफ है। उन्होंने स्टडी लीव और गेस्ट फैकल्टी से जुड़े प्रावधानों को भी अनुचित बताया।
विधेयक के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी:
शिक्षक और अन्य कर्मचारी संगठन इस विधेयक को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि इस विधेयक को निरस्त नहीं किया गया तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
निष्कर्ष:
कर्मचारी संगठन और शिक्षक संघ ने एक स्वर में इस विधेयक को कर्मचारी विरोधी करार दिया है। सरकार से अपील की गई है कि वह इस विधेयक पर पुनर्विचार करे और कर्मचारियों के सुझावों को शामिल कर इसे संशोधित करे।