हमीरपुर। जिला हमीरपुर के गांव चमनेड़ के किसान राजकुमार ने अपनी मेहनत और प्रदेश सरकार की योजनाओं के सहयोग से मशरूम की खेती में सफलता की मिसाल पेश की है। कभी पारंपरिक खेती और वैल्डिंग के काम से सीमित आय अर्जित करने वाले राजकुमार आज मशरूम की खेती से लाखों रुपये कमा रहे हैं।
राजकुमार ने बताया कि पहले वह पारंपरिक खेती के साथ वैल्डिंग का कार्य करते थे, लेकिन आय संतोषजनक नहीं थी। आय का वैकल्पिक साधन खोजते हुए उन्हें मशरूम की खेती के बारे में पता चला। उन्होंने उद्यान विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया और विभाग से 50,000 रुपये की सब्सिडी और मार्गदर्शन प्राप्त किया।
राजकुमार का कहना है कि मशरूम की खेती बेरोजगार युवाओं के लिए सुनहरा अवसर है। वह कहते हैं कि मशरूम यूनिट लगाने के लिए ज्यादा जगह या पूंजी की जरूरत नहीं होती। सरकारी सब्सिडी और प्रशिक्षण की मदद से युवा आत्मनिर्भर बन सकते हैं। उन्होंने सभी किसानों और युवाओं से अपील की कि पारंपरिक खेती के साथ-साथ आय के नए साधनों को अपनाएं।
100 बैग से शुरूआत, 400 तक का सफर
घर में 100 बैग की यूनिट लगाकर शुरू हुई इस यात्रा में राजकुमार ने बाजार में मशरूम की बढ़ती मांग को देखते हुए यूनिट की क्षमता बढ़ाकर 400 बैग कर दी। आज वह पीक सीजन में रोजाना 500-600 पैकेट मशरूम तैयार कर बाजार में बेच रहे हैं। एक पैकेट से उन्हें 20-22 रुपये की थोक आय होती है, जिससे अब उनकी मासिक आय लाखों में पहुंच चुकी है।