हिमाचल प्रदेश में हुए छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई ने जांच पूरी कर ली है। कोर्ट में पांच चालान पेश करने के बाद अब ट्रायल के दौरान आरोपियों को पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर…
हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित 181 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई ने जांच पूरी कर ली है, अब कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ ट्रायल शुरू हो गया है। सीबीआई ने 20 शिक्षण संस्थानों और उनके संचालकों, प्रदेश शिक्षा विभाग, बैंक के कई अधिकारियों सहित 175 आरोपियों की गिरफ्तारियां की हैं। कोर्ट में पांच चालान पेश करने के बाद अब ट्रायल के दौरान आरोपियों को पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है।
इसमें उच्च शिक्षा निदेशालय शिमला के तत्कालीन कर्मचारियों, शैक्षणिक संस्थानों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, निदेशकों व कर्मचारियों, बैंक कर्मियों प्रदेश सहित बाहरी राज्यों के निजी शिक्षण संस्थान के अधिकारी शामिल हैं। छात्रवृत्ति का 80 फीसदी बजट निजी और 20 फीसदी सरकारी संस्थानों को जारी किया गया। इस मामले में हर स्तर पर अनियमितताएं बरती गईं। हिमाचल में छात्रवृत्ति का यह घोटाला वर्ष 2013 से 2017 तक का है। वर्ष 2019 में एफआईआर मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी मामले की जांच की निगरानी की।
मामले के अनुसार केंद्र सरकार की ओर से अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों की मदद के लिए छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई, लेकिन इसमें अधिकारियों ने घोटाला किया। छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने वाले पोर्टल में कई खामियां मिलीं। निजी शिक्षण संस्थानों ने फर्जी तरीके से विद्यार्थियों के नाम पर बैंक खाते खोले और सरकारी धनराशि हड़प ली। आय से अधिक संपत्ति मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने भी कई आरोपियों की चल-अचल संपत्तियां अटैच की गईं। इसमें दस करोड़ से ज्यादा की संपत्ति अटैच करने के अलावा 14 बैंक खातों में जमा राशि भी इसमें शामिल है। ईडी इस मामले में सीबीआई की ओर से दर्ज एक एफआईआर के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्रवाई कर रहा है।