उपमंडल बड़सर में स्थित बड़सर महाविद्यालय में 2017 में महाविद्यालय का दर्जा बड़ाकर इसे सनातकोत्र करने की घोषणा की गयी थी , और तत्काल प्रभाव से यहां पर इतिहास, हिंदी और एम कॉम शुरू करने क़ी बात उस समय कही गयी थी! लेकिन पांच साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद अभी तक इन आदेशों को अम्लीजामा नहीं पहनाया जा सका है! आपको बता दें की इसी के साथ कई सारे पद भी म्हाविद्यालय में रिक्त पड़े हुए हैँ, जिन्हें अभी तक नहीं भरा गया है! वहीं आदेश पारित होने के बावजूद भी अभी तक ये लागू न होने के कारण छात्रों को स्नात्तकोत्तर शिक्षा ग्रहण करने के लिये हमीरपुर, ऊना या अन्य जगह का रुख करना पड़ता है, वहीं बड़सर महाविद्यालय को शुरू हुए करीब 15 साल से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन अभी तक कोई महत्वपूर्ण बदलाव महाविद्यालय में देखने को नहीं मिला है! इसके इत्र कई सारी मूलभूत सुविधाओं का आभाव म्हाविद्यालय में देखने को मिल रहा है! कक्षाएं शुरू न होने से बड़सर क्षेत्र के लोगों में काफ़ी रोष है, काफ़ी लोगों का कहना है की, बड़सर महाविद्यालय में स्नात्तकोत्तर तो दूर की बात है, लेकिन चकमोह म्हाविद्यालय जो पहले से ही स्नात्तकोत्तर था, उसमे भी हिंदी औऱ संकृत विषयों को बंद कर दिया गया, ऐसे में बात करें तो उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिये बड़सर विधानसभा के छात्रों को अन्य कॉलेजों का रुख करना पड़ता है!
इस विषय में ज़ब हमने कॉलेज के प्रधानाचार्य अश्वनी कुमार से बात की तो उन्होंने कहा की इस विषय में सरकार को लिखकर जानकारी दी गयी है, और इस संदर्भ में सरकार ही अंतिम निर्णय कर सकती है!
हालांकि अभी सरकार का रुख इस विषय पर साफ नहीं है, और कब तक महाविद्यालय को स्त्रोन्नत किया जायेगा, ये अभी सवालों के घेरे में है!