हिमाचल प्रदेश में लोगों से जमीन की गिफ्ड डीड और फॉरेस्ट क्लीयरेंस लेना लोक निर्माण विभाग के लिए दो बड़ी चुनौतियां हैं
हिमाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत जिन बस्तियों के लिए सड़कें बनाने के लिए मैपिंग की गई हैं, उनमें से करीब 70 फीसदी जमीनी पेच में फंस सकती हैं। पीएमजीएसवाई के फेज-चार के लिए इनकी मैपिंग तो कर ली गई है, लेकिन करीब 30 फीसदी में ही जमीन आसानी से मिलने का राज्य लोक निर्माण विभाग का आकलन है। विभाग को फील्ड अधिकारियों से इसके इनपुट मिले हैं कि 1460 बस्तियों को सड़कों से जोड़ने का प्लान तो बना लिया गया है, लेकिन यह सिरे तभी चढ़ पाएगा, अगर लोगों से जमीन की गिफ्ड डीड और फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिलेगी। ये दोनों ही काम बड़ी चुनौती होंगे।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत हिमाचल प्रदेश में 1460 ऐसी बस्तियों की मैपिंग हो चुकी है, जिनमें 250 से अधिक आबादी है। इनमें 163 बस्तियों के लिए सड़क बनाने में तो कोई समस्या नहीं हैं। बस्तियों के लिए बन रहीं सड़कें अपग्रेड हो जाएंगी और पक्की भी की जाएंगी। ये वे हैं जो पीएमजीएसवाई के पहले चरण में बना ली गई थीं, जो कच्ची थीं। इनके अलावा मैपिंग में ली गई 1297 बस्तियों में से ज्यादातर सड़कों को बनाने में जमीन की बड़ी समस्या आएगी। इन बस्तियों के लिए जाने वाली सड़कों में करीब 70 फीसदी वन क्षेत्र आएगा तो 30 फीसदी क्षेत्र ऐसा होगा, जहां निजी जमीनें लोगों को सरकार को दान करनी होगी। इस पर हिमाचल प्रदेश में मुआवजा नहीं मिलता है।
कहीं सेब के बगीचे लगे हैं तो कहीं पर अन्य कारणों से भी लोगों से जमीन लेना मुश्किल हो जाएगा। कई लोगों ने कर्ज लिया है, जिसका बैंक एनओसी देने में आनाकानी करते हैं। किसान क्रेडिट कार्ड धारक किसानों की जमीनों का भी बैंक एनओसी नहीं दे रहे हैं। यह भी एक बड़ा कारण है। विभाग को फील्ड अधिकारियों से इनपुट मिला है कि मैपिंग में बेशक बड़ी संख्या में सड़कों को बनाने का प्लान बनाया जा चुका है, लेकिन जमीन का पेच फंसेगा।
वहीं, राज्य लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता नरेंद्र पाल सिंह ने भी इस बात को माना कि सड़कों के लिए मैपिंग तो हो चुकी है। ये चरणबद्ध तरीके से बनेंगी। जहां जमीन उपलब्ध होगी, डीपीआर वहीं बनाई जा सकेंगी। सड़कों के लिए जमीन की समस्या रहती है।